For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- मुझ पे कब इख्तियार मेरा है ....

मुझ पे कब इख्तियार मेरा है
यूँ नए साल का सवेरा है.

ख़ैरियत लोग मेरी पूछें जब
ज़ेह्न ने दर्द ही उकेरा है .

इश्क़ बाजों से पूछ कर देखो
चाँद के पार भी बसेरा है.

वक़्त की धुन पे नाचती दुनिया
वक़्त सबसे बड़ा सपेरा है.

धर्म ईमान कुफ़्र की बातें
मुझ पे वाइज़ असर ये तेरा है .

नाम तुझ पर 'दिनेश' जँचता नहीं
तेरी किस्मत में जब अंधेरा है .

दिनेश कुमार
( मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 887

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on January 2, 2015 at 8:09am
बहुत शुक्रिया आ. डॅा विजय जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 2, 2015 at 8:05am
वक़्त की धुन पे नाचती दुनिया
वक़्त सबसे बड़ा सपेरा है॥
प्रशंसनीय , बहुत बहुत बधाई, आदरणीय दिनेश कुमार जी, सादर।
Comment by दिनेश कुमार on January 2, 2015 at 7:53am
सभी आ. साथियों का बहुत बहुत शुक्रिया, रचना को पढ़कर हौसला अफजाई करने का। वस्तुतः यह आप सभी आ. साथियों का स्नेह व आत्मीयता है जो आपकी प्रतिक्रिया में झलकती है। यही स्नेह और आप का आशीर्वाद मुझे लिखने को प्रेरित करता है। सादर नमन।
Comment by Anurag Prateek on January 1, 2015 at 9:58pm

बहुत सुंदर ग़ज़ल

Comment by somesh kumar on January 1, 2015 at 8:49pm

वक़्त की धुन पे नाचती दुनिया 
वक़्त सबसे बड़ा सपेरा है.|सुंदर रचना ,नव वर्ष एवं रचना के लिए बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 8:02pm

आदरणीय दिनेश जी बहुत सुंदर ग़ज़ल है हर शेर के लिये दाद हाजिर है

Comment by Hari Prakash Dubey on January 1, 2015 at 7:50pm

आदरणीय दिनेश कुमार जी इस रचना पर बधाई स्वीकार करें !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 1, 2015 at 7:44pm
वक़्त की धुन पे नाचती दुनिया 
वक़्त सबसे बड़ा सपेरा है.
इश्क़ बाजों से पूछ कर देखो 
चाँद के पार भी बसेरा है.
आदरणीय दिनेश सर जी बेहतरीन ग़ज़ल के उम्दा अशहार हुये हैं | आपको बहुत बहुत बधाई। दिल से दाद कुबूल कीजिये
Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on January 1, 2015 at 7:32pm

ख़ैरियत लोग मेरी पूछें जब
ज़ेह्न ने दर्द ही उकेरा है .... क्या रेखाचित्र सी प्रस्तुति है..

अंतिम पंक्ति मे नाम के सथ क्या लॉजिक है.. बधाई हो श्रीमान!!

Comment by Shyam Narain Verma on January 1, 2015 at 4:11pm

बहुत खूब, सुन्दर प्रस्तुति.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service