For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल-ये नहीं शायरी के पन्नें है!

2122 1222 22

ये मेरी जिन्दगी के पन्ने हैं!
ये नहीं शायरी के पन्ने हैं!!

ये नशेमन है मेरी आहों के!
ये तेरी बेरुखी के पन्ने हैं!!

मुफलिसी बेबसी की ये चींखे!
तीरगी इस गली के पन्नें हैं!!
ंंंंंं
ये तो बच्चों की लाशे है या रब!
ये तेरी खामुशी के पन्ने हैं!!

ना समझ हो अभी क्या समझोगे!
मेरे कागज सभी के पन्ने हैं!!

देखनी हो जिसे दुनिया 'राहुल'!
मुझको पढ़ ले इसी के पन्ने हैं!!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1047

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by mrs manjari pandey on March 11, 2015 at 12:00pm

आदरणीय राहुल जी हार्दिक बधाई स्वीकार करें अच्छी ग़ज़ल के लिए । 

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 23, 2014 at 8:37am
आदरणीय somesh kumar जी मेरा धन्यवाद कुबुल करें
Comment by Rahul Dangi Panchal on December 23, 2014 at 8:36am
आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी मैं दिल की गहराईयों से इस मंच का शुक्रिया करता हुँ ! मैंने यह्ँ बहुत कुछ सिखा है! मैं सभी गुनीजनो के निर्देषानुसार कमीयों को सुॉधारने का प्रयत्न कर रहा हुँ बस पुलिस की नौकरी की वजह से व्यस्त बहुत ज्यादा रहता हुँ! नमन!
Comment by somesh kumar on December 22, 2014 at 10:51pm

ये तो बच्चों की लाशे है या रब!
ये तेरी खामुशी के पन्ने हैं!!

ना समझ हो अभी ना समझोगे!
मेरे कागज सभी के पन्ने हैं!!

पूरी गज़ल हेतु बधाई पर जो अच्छा लगा वो पेस्ट कर दिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 22, 2014 at 9:47pm

आदरणीय राहुल जी आपकी इस रचना पर सार्थक चर्चायेँ हुई हैं, इसके अलावा इस मंच पर गज़ल के शिल्प पर समुचित जानकारी मौजूद है आगे बहुत काम आयेंगी।
बहरहाल इस प्रयास के लिये दाद कुबूल फरमायें

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 22, 2014 at 8:09pm
आदरणीय सौरभ जी मेरा सौभाग्य है जो मैं इस मंच से जुडा हुँ!
Comment by Rahul Dangi Panchal on December 22, 2014 at 8:07pm
आदरणीय gumnaam pithoragarhi व जवाहर लाल जी मेरा ह्रदय तल से धन्यवाद स्वीकार करें!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 22, 2014 at 6:26pm

आदरणीय गिरिराजभाईजी, काफ़िया पर चर्चा कर आपने विश्लेषण को पूर्णता दी है. ग़ज़ल लेखन में यह विन्दु वाकई बहुत अहम है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
भाईजी, मंच पर फिलवक़्त कुछ अच्छे रचनाकार सदस्य हुए हैं. उनको दिशानिर्देश मिलना हम सभी का सामुहिक दायित्त्व है. अपनी समस्त विवशताओं के बावज़ूद कार्यरत रहना है.
सादर

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 22, 2014 at 6:01pm

ये तो बच्चों की लाशे है या रब!
ये तेरी खामुशी के पन्ने हैं!!

मार्मिक अभिव्यक्ति!

Comment by gumnaam pithoragarhi on December 22, 2014 at 5:36pm

बहुत ही सुन्दर रचना

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
11 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service