For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल -हर ग़ज़ल में आप ही तो हैं (गिरिराज भंडारी)

1222     1222    1222       1222

मेरी हर शायरी में हर ग़ज़ल में आप ही तो हैं

मेरे हर नज़्म की होती पहल में आप ही तो हैं

 

मुझे तो ज़िन्दगी के रंग सारे ठीक लगते थे

किसी भी रंग के रद्दोबदल में आप ही तो हैं

 

मैं कितनी भी रखूँ दूरी हमेशा पास में हो आप 

मेरे दिल में बना है उस महल में आप ही तो हैं

 

ये दुनिया है यहाँ ज़ह्राब भी शामिल है आँसू भी

मेरी आँखों से बहते इस तरल में आप ही तो हैं

 

अलग कब आप हो मुझसे, हवायें हों मुख़ालिफ तो

अदावत से मिले सारे गरल में आप ही तो हैं 

 

किसे देखूँ  किसे छोड़ूँ बतायें आप ही मुझको

नज़र के सामने सारे पटल में आप ही तो हैं

 

बहारों में नजारों में सभी नदियों में झरनों में

कली में, फूल में, खिलते कमल में आप ही तो हैं

 

मेरे ख़्वाबों ख़यालों में मेरे लम्हों में, सदियों से

मेरी हर सोच के सारे अमल में आप ही तो हैं

 

यहाँ जब और कोई है नहीं बस आप हैं,तो फिर

ये सारे हो रहे जंगो जदल में आप ही तो हैं 

*********************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

 

Views: 838

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2014 at 5:07pm

आदरणीय आशुतोष भाई , आपको भी दिपावली की बधाइयाँ । ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2014 at 5:04pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , आप सब की दुआओं से तबीयत ठीक है , फोन ट्रांसफर नही हो पाने से ब्राडबैंड नही चला पारहा हूँ , डोंगल लिया है जो बहुत धीमा है , किसी तरह आप लोगों से जुड़ पा रहा हूँ । बाक़ी सब ठीक है ।
ग़ज़ल की सराहना कर उत्साह्वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ , स्नेह बनाये रखियेगा ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2014 at 5:00pm

आदरणीया प्राची जी , आपकी सराहना ने तो मेरा गज़ल कहना सार्थक कर दिया । उत्साह्वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2014 at 4:58pm
आदरणीय योगराज भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति ही मेरे लिये सुखदायी है , आपसे सराहना पाके मन गद्गद है , आपका दिल से आभार ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2014 at 4:55pm
आदरणीय खुर्शीद भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 3, 2014 at 1:57pm

आदरणीय गिरिराज भाई साब ..सबसे पहले तो दिवाली की ढेर सारी बधाई ..काफी दिनों के बाद आपकी एक और बेहतरीन ग़ज़ल पढने का मौका मिला..इस ग़ज़ल का खूब लुत्फ़ उठाया आपको हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर ..

ये दुनिया है यहाँ ज़ह्राब भी शामिल है आँसू भी

मेरी आँखों से बहते इस तरल में आप ही तो हैं इस 

बहारों में नजारों में सभी नदियों में झरनों में

कली में, फूल में, खिलते कमल में आप ही तो हैं इन शेरो के लिए बिशेस रूप से बधाई  सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 3, 2014 at 11:52am

ये दुनिया है यहाँ ज़ह्राब भी शामिल है आँसू भी

मेरी आँखों से बहते इस तरल में आप ही तो हैं    वह =-- वाह ---------------i  मित्र आशा है आप स्वस्थ और सानन्द होंगे  i  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 3, 2014 at 11:49am

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय गिरिराज भंडारी जी 

बतौर पाठक....बहुत देर तक हर शेर में रुके रहने और झूम जाने का दिल किया 

बहुत खूबसूरत 

हार्दिक बधाई 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 11:12am

वाह वाह !! दिल को छू जाने वाली ग़ज़ल। हार्दिक बधाई आ० गिरिराज भंडारी जी।

Comment by khursheed khairadi on November 3, 2014 at 10:32am

किसे देखूँ  किसे छोड़ूँ बतायें आप ही मुझको

नज़र के सामने सारे पटल में आप ही तो हैं

आदरणीय गिरिराजशरण जी ,मुश्किल रदीफ़ के साथ नये काफ़िये बख़ूबी निभाये हैं आपने ,इस खुबसूरत ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाई |सादर अभिनन्दन 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
14 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service