For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

...गुनगुनाने दो पीर को...

गुनगुनाने दो पीर को...


गुनगुनाने ..दो पीर को
प्यासे अधर अधीर को
नयनों के .इस नीर को
मधुर स्मृति समीर को
हाँ , गुनगुनाने दो पीर को ….


रांझे की …उस हीर को
भूखे ..इक ..फकीर को
मरते .हुए …जमीर को
प्यासे नदी के .तीर को
हाँ , गुनगुनाने दो पीर को ….


घायल नारी के चीर को
पंछी के बिखरे नीड़ को
शलभ की ..तकदीर को
घुट घुट मरती भीड़ को
हाँ , गुनगुनाने दो पीर को ….

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 473

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 28, 2014 at 12:40pm

आदरणीय सौरभ जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रतिक्रिया  का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on August 28, 2014 at 12:39pm

आदरणीय जितेन्द्र गीत जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 28, 2014 at 12:48am

आप पीर को गुनगुनाते आये हैं यह संतुष्टिदायी है, आदरणीय.  ईश्वर सदा सहाय्य हों तथा आप सदा प्रसन्न रहें.

सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 27, 2014 at 10:20am

फिर से आपकी एक ओर सुंदर रचना पढने को मिली, बहुत अच्छी लगी. बधाई आपको आदरणीय शुशील जी

Comment by Sushil Sarna on August 26, 2014 at 7:09pm

आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव  जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का और मेरी अनुपस्थिति को महसूस करने का हार्दिक आभार। मुझे पिछले २-३ माह से फ्रोजेन शोलडर का असहनीय दर्द था जिसकी वजह से मैं मंच पर सक्रिय रूप से भाग न ले सका। अभी भी थेरेपी चल रही है।  अपना स्नेह बनाये रखें।  धन्यवाद  

Comment by Sushil Sarna on August 26, 2014 at 7:04pm

आदरणीय    narendrasinh chauhan   जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 26, 2014 at 5:34pm

बहुत दिन बाद अपनी पीर लेकर  आए सरना जी i  साधुवाद i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service