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प्रेम स्पंदन .....

प्रेम स्पंदन ....

नयन आलिंगन.....
अपरिभाषित और अलौकिक.....
प्रेम स्पंदन//

मौन आवरण में ....
अधरों का अधरों से....
मधुर अभिनंदन//

महकें स्वप्न....
नेत्र विला में....
जैसे महके.....
हरदम चंदन//

मेघ वृष्टि की.....
अनुभूति को ....
कह पाये न....

प्रेम अगन में....
भीगा ये तन//

विछोह वेदना में....
नयन सागर के.....
तोड़ किनारे....

सुर्ख कपोलों पर दो बूंदें.....
पिया मिलन को .....
करती क्रन्दन//

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 810

Comment

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Comment by Sushil Sarna on July 2, 2014 at 11:59am

आदरणीय  जितेन्द्र 'गीत'   जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा  का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 2, 2014 at 11:56am

आदरणीय सविता मिश्रा जी  रचना पर आपकी मधुर  अभिव्यक्ति  का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 2, 2014 at 11:53am

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लाडीवाला जी  रचना पर आपकी आत्मीय अभिव्यक्ति  का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 2, 2014 at 11:52am

आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब  रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा  का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 2, 2014 at 11:51am

आदरणीय मीना पाठक जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा  का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 2, 2014 at 11:50am

आदरणीय बृजेश नीरज  जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा  का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 2, 2014 at 11:49am

आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by vijay nikore on July 2, 2014 at 11:31am

//विछोह वेदना में....
नयन सागर के.....
तोड़ किनारे....

सुर्ख कपोलों पर दो बूंदें.....
पिया मिलन को .....
करती क्रन्दन//

वाह ! आपकी बिंबप्रधान रचना बहुत अच्छी लगी। हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील जी।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 2, 2014 at 11:14am

अति सुंदर, आदरणीय शुशील जी. पूरी रचना बांधे रखती है, इस ठहराव हेतु आपको ह्रदय से बधाई

Comment by savitamishra on July 2, 2014 at 10:19am

बहुत सुन्दर आदरणीय

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