For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्यार , तुझे एक नया नाम देते हैं ---डा० विजय शंकर

प्यार चलो, तुझे एक नया नाम देते हैं ,
नव रूप ,नव रंग , नई पहचान देते हैं.
तेरे मतलब से मतलब निकाल देते हैं ,
बेमतलब प्यार का मतलब बता देते हैं.
तुझे तेरे स्व- अर्थ से मुक्त कर देते हैं ,
अपनत्व में लीन निस्वार्थ रूप देते हैं .
ये तेरे बदरंग , रंग निकाल देते हैं ,
पारदर्शी प्रिज्म सा रूप तुझे देते हैं .
तकने वालों को तू कांच नज़र आएगा ,
पास जिसके हो उसे ,सब रंग दिखायेगा .


मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 746

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 27, 2014 at 8:48am
बहुत बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय विजय प्रकाश शर्मा जी , आपको यह पंक्तियाँ अच्छी लगी , बहुत अच्छा लगा ।
Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 27, 2014 at 8:42am

आपको इस रचना पर भूरि-भुरि प्रशंसा का इनाम स्वीकारें आ० विजय जी.

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 26, 2014 at 11:31pm
आपको रचना पसंद आई , बहुत बहुत धन्यवाद आo कुंती मुकर्जी जी .
Comment by coontee mukerji on June 26, 2014 at 10:10pm

नयी सोच के साथ एक सुंदर रचना....आपको हार्दिक बधाई.

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 26, 2014 at 7:20pm
आ o रवि प्रभाकर जी , रचना पसंद आयी आपको , बहुत बहुत धन्यवाद .
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 26, 2014 at 7:16pm
आ o डॉ o गोपाल नारायण जी , रचना के अनुमोदन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .
Comment by Ravi Prabhakar on June 26, 2014 at 4:38pm

तेरे मतलब से मतलब निकाल देते हैं ,
बेमतलब प्यार का मतलब बता देते हैं.

बहुत खूब आदरणीय विजय शंकर जी. बधाई स्‍वीकार करें.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 26, 2014 at 12:43pm

क्या बात है ?

आपने प्यार को इन्द्रधनुषी कर डाला i  हर कोई अपनी पसंद का रंग देखे i  बहुत-बहुत बधाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service