For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छप्पय छंद
बेटी होना पाप, त्रास में जीवन सारा ।
जन्म पूर्व ही घात, उसे कितनों ने मारा ।।
कंपित होती सांस, वायु है दूषित सारी ।
छेड़ छाड़ हर पाद, नगर गांव बलात्कारी ।।
गली गली में भेडि़या, नोचें बेटी मांस को ।
जीवित होकर लाश हैं, बेटी सह  इस त्रास को ।।
.................
मौलिक अप्रकाशित

Views: 739

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 9, 2014 at 11:23pm

बढिया !

इस अभ्यास के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय.

गांव घर है बलात्कारी .. इस चरण को संयत करन होगा.

Comment by vijay nikore on June 8, 2014 at 11:22am

इस रचना की भावनाएँ मन को छू गईं। बधाई, आदरणीय।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 7, 2014 at 3:18pm

आदरणीय रमेश जी ..वर्तमान परिप्रेक्ष्य में लिखी गयी सटीक और सुंदर रचना ,,,हार्दिक बधाई के साथ सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 7, 2014 at 2:35pm

आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी 

सामयिक परिपेक्ष में बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति दी है आपने

आपको छंदों पर रचनाकर्म करते देखना बहुत सुकून देता है..बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है छप्पय छंद पर..मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारिये 

छंद की चौथी पंक्ति में मात्रिकता एक बार पुनः देख लें 

यदि अंतिम पंक्ति को ऐसा करें तो? "बिटिया ज़िंदा लाश सी, जीती है इस त्रास को" 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 7, 2014 at 12:06pm

प्रिय चौहान जी

आपका कथन सही है  i  आपने  सही निर्वाह किया है i यहाँ तक कित् ग्यारहवी मात्रा भी लघु रखी है i आपको  धन्यवाद i

सादर i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 7, 2014 at 9:33am

बहुत मार्मिक रचना, बधाई आदरणीय रमेश जी

Comment by रमेश कुमार चौहान on June 6, 2014 at 10:43pm

आदरणीय narendrasinh chauhan, Sushil Sarna, Sushil Sarna, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव, शिज्जु शकूरजी एवं आदरणीयाकुतीदी एवं राजेशदी रचना को मान देने के लिये सादर आभार,
       
आदरणीयडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवजी आपके सुझााव एवं मार्गदर्श के लिये सादर धन्यवाद । छप्पय छंद एक रोला एवं एक उल्लाला अथवा एक उल्लाल छंद का मेल होता है । 15, 13 उल्लाल 13,13 उल्लाला होता है । आदरणीय सौरभजी द्वाराभी आगामी चित्र से काव्य तक लिये दिये गये उल्लाला छंद में दी गई है । सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 6, 2014 at 7:45pm

आदरणीय रमेश भाई अच्छी भावाभिव्यक्ति है 

Comment by Shyam Narain Verma on June 6, 2014 at 4:12pm
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई .................
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 6, 2014 at 12:31pm

प्रिय चौहान जी

छप्पय  के प्रथम चार चरण रोला और बाद के दो चरण उल्लाला के होते है  i  रोला में  'गाँव  घर है बलात्कारी' में 13 के स्थान पर 14

मात्राये  है  i यहाँ तक तो फिर ठीक है पर आगे आपने 13,13 पर यति की है , जबकि उल्लाला में 15, 13 पर यति होतीहै  i छबीस मात्राओ वाले छंद भी होते है जैसे- शंकर ,विष्णुपद, कामरूप, झूलना,गीतिक एवं गीता i पर इनमे भी 13,13 पर यति किसी में नहीं होती i आप ओ बी ओ में ही छंद योजना कालम में सौरभ जी के इन छन्दो  पर लेख पढ़े i  इससे से आपके छंद का संगठन शुद्ध होगा और उसकी पठनीयता एवं सम्प्रेषण  शक्ति बढ़ेगी i  सादर i आशा है आप मेरी बातो को अन्यथा नहीं लेंगे i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service