For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे अजीज दोस्त, अमर मै अकबर है तू ।
मै तो तेरे साथ, साथ तो हरपल है तू ।।
रहना हमे सचेत, लोग कुछ हमें न भाये ।
हिन्दू मुस्लिम राग, छेड़ हम को भरमाये ।।

मेरे घर के खीर, सिवइयां तेरे घर के ।
खाते हैं हम साथ, बैठकर तो जी भर के ।।
इस भोजन का स्वाद, लोग वो जान न पाये ।
बैर बीज जो रोप, पेड़ दुश्मनी का लगाये ।। रहना हमे सचेत ....

यह तो भारत देश, लगे उपवन फूलों का ।
माली न बने चोर, कष्ट दे जो शूलों का ।।
रखना हमको ध्यान, बांट वो हमें न पावे ।
वो तो अपने स्वार्थ, आज तो आग लगावे ।। रहना हमे सचेत ....

तू जो करे अजान, करूं मै ईश्वर पूजा ।
ईश्वर अल्ला नाम, नही हो सकते दूजा ।।
करते हम सम्मान, एक दूजे को भाये ।
हमें मिले जो शांति, और जन जान न पाये ।। रहना हमे सचेत ....


हाड़ मांस का देह, रक्त में भी है लाली ।
हिन्दू मुस्लिम पूर्व, रहे हम मानव खुशहाली ।।
दिये हमारे बाप, सीख जो उसे निभायें ।
अब कौमी के गीत, साथ मिलकर हम गायें । रहना हमे सचेत....
....................................
मौलिक अप्रकाशित

Views: 412

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 8, 2014 at 7:49am

बहुत सुंदर  भाव,  सार्थक सन्देश के साथ. हार्दिक बधाई आपको आदरणीय रमेश ज़ी 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 6, 2014 at 9:53pm

सामायिक सन्देश देती उपयुक्त रचना 

रहना हमे सचेत, लोग कुछ हमें न भाये ।
हिन्दू मुस्लिम राग, छेड़ हम को भरमाये ।।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 5, 2014 at 9:26am

हाड़ मांस का देह, रक्त में भी है लाली ।
हिन्दू मुस्लिम पूर्व, रहे हम मानव खुशहाली ।।
दिये हमारे बाप, सीख जो उसे निभायें ।
अब कौमी के गीत, साथ मिलकर हम गायें ।-  बहुत सुन्दर और सार्थक सन्देश देती रचना के लिए बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 4, 2014 at 9:14pm

कौमी एकता पर सुन्दर रोले, बधाई.........

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 4, 2014 at 11:27am

//तू जो करे अजान, करूं मै ईश्वर पूजा ।
ईश्वर अल्ला नाम, नही हो सकते दूजा ।।
करते हम सम्मान, एक दूजे को भाये ।
हमें मिले जो शांति, और जन जान न पाये ।।//-------सुन्दर प्रस्तुति । हार्दिक बधाई। सादर,

Comment by coontee mukerji on May 4, 2014 at 12:12am

इस सुंदर रचना के लिये आपको बहुत बहुत बधाई रमेश कुमार जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
14 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service