For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1122 22

ज़ोर तूफ़ान का चल जाने दो

मुझको लहरों पे निकल जाने दो

 

है मुख़ालिफ़ कि हवाओं का रूख

ठहरो कुछ देर सँभल जाने दो

 

फिर न दिल में कोई रह जाये मलाल

इक दफा दिल को मचल जाने दो

 

मोजज़ा हो न हो उम्मीदें हों                          मोजज़ा =चमत्कार

जी किसी तरह बहल जाने दो

 

आग आखिर ये बुझेगी तो ज़रूर

डर इसी आग में जल जाने दो

 

बूंद जायेगी कहाँ तक देखूँ

गिर के पत्थर पे उछल जाने दो

 

रात गहरी हुई जाती है अब

बस करो यार ग़ज़ल जाने दो

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 635

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 29, 2014 at 8:54pm

आदरणीय गुमनाम भाई मैने जो बह्र लिया है उसके आखिरी में 22 को 112 भी किया जा सकता है इसके अलावा किसी भी अरकान के आखिर में एक अतिरिक्त लघु भी लिया जा सकता है इस प्रकार इस मिसरे को वज्न 2122 1122 112+1 आया है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 29, 2014 at 5:31pm

आदरनीय शिज्जू भाई,  बहुत खूब सूरत गज़ल कही है , दिली बधाइयाँ !!

 

बूंद जायेगी कहाँ तक देखूँ

गिर के पत्थर पे उछल जाने दो -----  बहुत खूब भाई जी , बधाइयाँ !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 29, 2014 at 3:32pm

आदरणीया वंदनाजी आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 29, 2014 at 3:29pm

आदरणीय मुकेश भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by रमेश कुमार चौहान on April 29, 2014 at 2:31pm

 बहुत ही सुंदर आदरणीय भैयाजी, बधाई

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 29, 2014 at 1:31pm

भ्रम की राह निकल जाने दो

हाल जो भी हो सँभल जाने दो.........बहुत सुंदर, एक सकारात्मक नसीहत

मोजज़ा हो न हो उम्मीदें हों                         

जी किसी तरह बहल जाने दो..........वाह! क्या बात कही है

बहुत शानदार गजल कही आपने आदरणीय शिज्जू जी, दिली बधाई स्वीकारें

Comment by Gajendra shrotriya on April 28, 2014 at 10:58pm

फिर न दिल में कोई रह जाये मलाल

इक दफा दिल को मचल जाने दो

 खूबसूरत ग़ज़ल के लिए और खासकर इस दिलकश शेर के लिए दिली दाद कबूलें भाई शिज्जु शकूर साहब। 

Comment by वीनस केसरी on April 28, 2014 at 9:02pm

बहुत खूब, जनाब
शानदार ग़ज़ल हुई है

Comment by gumnaam pithoragarhi on April 28, 2014 at 4:58pm

2122 1122 22

फिर न दिल में कोई रह जाये मलाल

ye kaise please sir bataye meri samajh me nahi aaya,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by vandana on April 28, 2014 at 3:07pm

 

मोजज़ा हो न हो उम्मीदें हों                          मोजज़ा =चमत्कार

जी किसी तरह बहल जाने दो

बूंद जायेगी कहाँ तक देखूँ

गिर के पत्थर पे उछल जाने दो

वाह बेहतरीन अशआर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
13 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service