For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - छीन लेगा मेरा .गुमान भी क्या

छीन लेगा मेरा .गुमान भी क्या
इल्म लेगा ये इम्तेहान भी क्या

ख़ुद से कर देगा बदगुमान भी क्या 
कोई ठहरेगा मेह्रबान भी क्या

है मुकद्दर में कुछ उड़ान भी क्या
इस ज़मीं पर है आसमान भी क्या

मेरा लहजा ज़रा सा तल्ख़ जो है

काट ली जायेगी ज़बान भी क्या

धूप से लुट चुके मुसाफ़िर को

लूट लेंगे ये सायबान भी क्या

इस क़दर जीतने की बेचैनी
दाँव पर लग चुकी है जान भी क्या

अब के दावा जो है मुहब्बत का
झूठ ठहरेगा ये बयान भी क्या

मेरी नज़रें तो पर्वतों पर हैं
मुझको ललचायेंगी ढलान भी क्या

- वीनस केसरी
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 904

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 24, 2014 at 9:58pm

बहुत खूब वीनस जी। सभी शे’र अच्छे हैं। एक मुकम्मल ग़ज़ल के लिए दाद कुबूल करें।

Comment by विवेक मिश्र on January 24, 2014 at 2:53pm

/इस क़दर जीतने की बेचैनी 
दाँव पर लग चुकी है जान भी क्या/
हासिल-ए-ग़ज़ल शे'र.

हार्दिक बधाई वीनस जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 23, 2014 at 9:46pm

है मुकद्दर में कुछ उड़ान भी क्या 
इस ज़मीं पर है आसमान भी क्या

इस क़दर जीतने की बेचैनी 
दाँव पर लग चुकी है जान भी क्या 

अब के दावा जो है मुहब्बत का 
झूठ ठहरेगा ये बयान भी क्या 

पूरी ग़ज़ल शानदार हुई है पर, इन तीन अशआरों पर ढेरों ढेर बधाई लीजिये आ० वीनस जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 22, 2014 at 8:34pm

आदरणीय वीनस जी बेहतरीन मुरस्सा ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 22, 2014 at 11:48am

वाह वाह आदरणीय वीनस भाई जी एक एक अशआर जानदार शानदार बन पड़ा है. इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं.

Comment by vandana on January 22, 2014 at 6:49am

मेरा लहजा ज़रा सा तल्ख़ जो है

काट ली जायेगी ज़बान भी क्या

धूप से लुट चुके मुसाफ़िर को

लूट लेंगे ये सायबान भी क्या

मेरी नज़रें तो पर्वतों पर हैं 
मुझको ललचायेंगी ढलान भी क्या 

वाह आदरणीय वीनस सर बेहतरीन ग़ज़ल आभार 

 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on January 22, 2014 at 12:02am

मेरा लहजा ज़रा सा तल्ख़ जो है

काट ली जायेगी ज़बान भी |   वाह वाह  !!

बेहतरीन ग़ज़ल भाई जी, बधाई !!

Comment by Arun Sri on January 21, 2014 at 11:51am

वाह ! हर एक शे'र जानदार , शानदार ! गहरे तक उतरते हुए !

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 21, 2014 at 7:38am

आदरणीय वीनस भाई ,ग़ज़ल पढकर असीम सुख मिला . हार्दिक बधाई .

Comment by ajay sharma on January 20, 2014 at 11:14pm

है मुकद्दर में कुछ उड़ान भी क्या 
इस ज़मीं पर है आसमान भी क्या..............veenus sir ..........kya sher kaha hai .........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service