For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौन हवाएं

सर्द गर्म और सीली सीली

आते जाते

आम जनों की

तबियत ढीली  

सन्नाटों की चीख

अनवरत अनुशासित है

लेन देन की बात करे हैं

सारे उल्लू

चन्दा का उजियारा

ढूँढे

जल भर चुल्लू

भूतों और पिशाचों से

बस ये शासित है

दहशत वहशत

खुली सड़क पर

खुल के झूमें

डाकू और लुटेरे

क्षण क्षण

दामन चूमें

शबनम का कतरा

त्रण त्रण में आभासित है

अन्धकार को आज करूँ

लो परिभाषित मैं

 

संदीप पटेल “दीप”

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 590

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 14, 2013 at 1:45pm

आदरणीय सौरभ सर .........ये रचना तो बस लिख गयी ...............पता नहीं चलता कभी कभी के क्या होना चाहिए क्या नहीं

मैंने अनुशासित है लिया है तो शासित ही होना चाहिए ...................पता नहीं सर जी ........कुछ गड़बड़ हुई हो तो अवश्य बताइए शायद कुछ सूझ नहीं रहा है


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 8, 2013 at 10:47am

पहले बन्द में, यदि वह बन्द हा जाये तो,  शाषित है  होगा या शाषित हैं होगा ?

इस पंक्ति में टंकण त्रुटि हो गयी है जिसे इस तरह से होना चाहिये था -- पहले बन्द में, यदि वह बन्द हो जाये तो,  शाषित है  होगा या शाषित हैं होगा ?

वस्तुतः यह पंक्ति मेरा प्रश्न है आपसे. यह जिज्ञासा है मेरी.

आपका बन्द है -

लेन देन की बात करे हैं

सारे उल्लू

चन्दा का उजियारा

ढूँढे

जल भर चुल्लू

भूतों और पिशाचों से

बस ये शासित है

यहाँ शासित है  के प्रति मेरी जिज्ञासा बनी है.

धन्यवाद, भाईजी.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 8, 2013 at 9:41am

आप सभी स्नेही मित्रों और अग्रजों का ह्रदय से धन्यवाद स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 8, 2013 at 9:40am

//पहले बन्द में, यदि वह बन्द हा जाये तो,  शाषित है  होगा या शषित हैं होगा ?/aआदरणीय सौरभ सर जी सादर प्रणाम

मैं आपके कहे को समझ नहीं सका

कृपया मार्गदर्शन करें

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 8, 2013 at 12:38am

यानि आप ये भी कर देते हैं..  :-))))

पहले बन्द में, यदि वह बन्द हा जाये तो,  शाषित है  होगा या शषित हैं होगा ?

शुभ-शुभ

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 3:42pm

पटेल जी

आप इस रचना के लिए बधाई के पात्र है i  

Comment by ram shiromani pathak on December 3, 2013 at 12:25am

आदरणीय संदीप भाई बहुत ही सुन्दर रचना  बधाई आपको.................

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 3, 2013 at 12:13am

बेहद सुंदर !  बधाई स्वीकारें आदरणीय संदीप जी

Comment by बृजेश नीरज on December 2, 2013 at 9:27pm

बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by विजय मिश्र on December 2, 2013 at 5:41pm
वास्तव में , यह घोर अंधकार अन्यत्र नहीं . सटीक और स्पष्ट रचना केलिए बधाई संदीपजी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

ajay sharma shared a profile on Facebook
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service