सुनो !!
वक्त मत लिया करो ...
समय से तारीफ करा करो
हाँ मगर सच्ची तारीफ़ें
और समय से मुबारकें
तुम्हारी दुआ कबूल हो
उस खुदा को मंजूर हो
जिसने मुझे भेजा यहाँ
तुम जैसे दोस्तों के दिलों में
मिला एक आसियाँ
मैं कितना भी उड़ लूँ
आज मगर सच कहता हूँ
प्यार से अपने बांध लेते हो
वरना मैं क्या होता हूँ
मुस्कराहट में मेरी, तुम्हारी नज़र है
कलम से कुछ नाराज़ अक्षर हैं
वरना कहाँ मैं तुमसे दूर रह पाता हूँ
एक डोर से बंधा चला आता हूँ
खुदा तुम्हें भी सलामत रखें
ओ... मेरे अंजान साथियों
जो तुमसे मिला वो कर्ज है
मुझे लाजवाब कर देने वालों
तुम्हें मेरा सलाम अर्ज है ....
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ0 अन्नपुरना जी, आ0 शिजू जी, आ0 गोपाल नारायण जी, आ0 अनुराग जी, आ0 सारथी जी, आ0 अरुण जी बहुत बहुत आप सभी का आभार... धन्यवाद ... सराहना के लिए....
आ0 राम शिरोमणि पाठक जी आपका सुझाव सर आंखो पर ... बहुत बहुत आभार ...
आदरणीय आमोद जी अच्छा प्रयास है और बेहतर हो सकता था मेरे हिसाब से.
आदरणीय भाई जी सुन्दर प्रस्तुति /// .. बहुत बहुत बधाई आपको
वक्त मत लिया करो ...
समय से तारीफ करा करो /// "करा" कि जगह "किया" कर दिया जाय तो कैसा रहेगा ??
आपको भी सलाम अर्ज़ है ...बढ़िया रचना !
दिल से बयां जो आपने हक्कीकत कर दी
खुद खुदा हो गए क्या रचना कर दी
बेहतरीन सलाम ! बहुत बहुत बधाई
आदरणीय आमोद जी ..बेहद मनभावन है यह रचना ..बधाई के साथ
वाह आमोद जी अब यह बात तो
मेरे दिल में भी दर्ज है
मुझे लाजवाब कर देने वालो ------- रचना पर मेरा सलाम कबूल करे
वाह आदरणीय आमोदजी बहुत खूब सलाम पेश किया है दाद कुबूल फरमायें
आ0 आमोद जी इस रचना प्रयास पर आपको हार्दिक शुभकामनायें ।
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