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टूटी चूड़ियाँ

बह गया सिन्दूर

साथ ही टूटा

अनवरत

यंत्रणा का सिलसिला

बह गया फूटकर

रिश्तों का एक घाव

पिलपिला

अब चाँद के संग नहीं आएगा

लाल आँखें लिए

भय का महिषासुर

कभी कभी अच्छा होता है

असर

जहरीली शराब  का ..

... नीरज कुमार ‘नीर’

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by annapurna bajpai on November 18, 2013 at 2:00pm

सुंदर भावभिव्यक्ति , बधाई आपको आ० नीरज जी । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 1:00pm

आदरणीय नीरज भाई जी वाह बहुत ही सुन्दर अतुकांत कविता गहरे भाव सुन्दर चित्रण बधाई स्वीकारें.

Comment by Neeraj Neer on November 17, 2013 at 8:55am

आभार भाई राम शिरोमणी पाठक जी ..

Comment by Neeraj Neer on November 17, 2013 at 8:54am

बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ जी .. उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद ..

Comment by ram shiromani pathak on November 17, 2013 at 12:45am

वाह वाह वाह आदरणीय ज़ोरदार प्रस्तुति   /// हार्दिक बधाई  आपको///सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 16, 2013 at 10:03pm

बहुत बढिया.. बहुत-बहुत बढिया. 

ये होती है कविता.. ..

शुभ-शुभ

Comment by Neeraj Neer on November 16, 2013 at 8:02pm

आदरणीय विजय मिश्र जी हार्दिक आभार ..

Comment by Neeraj Neer on November 16, 2013 at 8:02pm

डॉ आशुतोष मिश्र साहब हार्दिक आभार ..

Comment by Neeraj Neer on November 16, 2013 at 8:02pm

आदरणीय जितेन्द्र गीत जी  आभार 

Comment by Neeraj Neer on November 16, 2013 at 8:01pm

डॉ अनुराग सैनी साहब आभार ..

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