For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यहाँ परछाईयों का सौदा होता है
हर चीज यहाँ बिकाऊ है
हर पल तमाशा लगता है
तुम अपना दाम कहो
छुप के नहीं खुले आम कहो
क्या लोगे अपनी यारी का
क्या लोगे अपनी दिलदारी का
मेरा गम लोगे कितने में
तुम प्यार करोगे कितने में
सब जज़बात तुम मेरे नाम करो
हमराही तुम अपना दाम कहो
पर दाम चुकाने के खातिर
हम अपनी जेब टटोलें तो
बस प्यार मिलेगा बहुत सारा
पर ये सिक्के अब कहाँ चलते हैं
ये दुनिया बे-एतबारी की .....
ये अर्ज है हर व्यापारी की ....


मौलिक व अप्रकाशित

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 18, 2013 at 1:58pm

आज की स्वाथ्परक परिस्थितियों में हर एहसास के मोल का दर्द बाखूबी व्यक्त हुआ है...

सार्थक प्रस्तुति पर हार्दिक बढ़ायी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 16, 2013 at 8:23pm

आजकी परिस्थितियों को साझा करने के लिए धन्यवाद. भावुकता को अच्छे शब्द मिले हैं. अभिव्यक्ति और शब्द व्यवहार पर भी ध्यान दिया करें.

शुभेच्छाएँ.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 16, 2013 at 12:23pm

सुंदर रचना ...हर चीज का वाकई दाम लग गया है ..सादर बधाई के साथ 

Comment by Saarthi Baidyanath on November 15, 2013 at 10:26pm

तुम अपना दाम कहो
छुप के नहीं खुले आम कहो....बढ़िया बाजार है साहब ..एक अच्छी रचना पढ़ने को मिली !...बधाई :)

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 15, 2013 at 10:18pm

बहुत सही और यथार्थ कहा है आपने 

मन को भा गयी है ये रचना 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 15, 2013 at 6:31pm

प्यार  ,दोस्ती , व्यवहार , यहाँ तक कि संस्कार में भी बाज़ारवाद हावी हो गया है , सुंदर रचना,  हार्दिक बधाई अमोद भाई ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 15, 2013 at 9:18am

वाह आदरणीय आमोदजी खूबसूरत रवां प्रस्तुति भाव पक्ष भी मजबूत है दिली मुबारक बाद स्वीकार करें

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 14, 2013 at 11:43pm

सच! आज के समय में, यहाँ मतलबी इंसानों ने भाव तय कर रखे हैं , ईमान, भावनायें, रिश्ते-नाते, सब बिकाऊ है, जो चाहो खरीद लो..

 रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय आमोद जी

Comment by Amod Kumar Srivastava on November 14, 2013 at 10:26pm

बहुत बहुत आभार आ0 बृजेश जी, आ0 अभिनव अरुण जी, आ0 अरुण शर्मा जी, आ0 मीना पाठक जी, आ0  अखंड जी, आ0 गोपाल नारायण जी, आ0 सुशील जी.... उत्साहवर्धन के लिए.... 

Comment by बृजेश नीरज on November 14, 2013 at 8:31pm

अच्छी रचना! आपको हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
13 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service