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रोने धोने का काम नहीं |

दहाड़ते चलो सभी रण में ,  मारो दुश्मन को ललकार |
आगे बढ लक्ष्मी बाई सा , रोको इनका अत्याचार |
मानव ना ये दानव सा हैं , करते पशुवो सा व्यवहार |
रोने धोने का  काम नहीं , देख  करो इनका संहार | 
पाप नहीं राक्षस मारे जो , कहते हैं सब वेद पुरान | 
सता दूसरे का घर लूटे , उस का कैसा है ईमान |
बलशाली बन पाप करे जो , देख जिस से डरता जहान |
जंगल में घूमे  दानव सा , आदमी नहीं है शैतान |
चुपचाप जब गम  दबा लोगी , क्या कर लेगा ये  संसार |
बिलख बिलख ही मर जाओगी , जीना भी होगा बेकार |
दया कहाँ रहे  शैतान को ,  जिसका काम है दुराचार |
अबला तुम अब सबला समझो , मत झेलो ये अत्याचार |
शेरनी कभी चुप ना बैठे , दौड़ कर जा करती शिकार |
हाथ बांध कर जब बैठेगी ,मुश्किल हो  मिलना आहार |
नये दौर में बदलो दुनिया , वरना जीना हो दुश्वार | 
वर्मा डरो नहीं  दुश्मन से , आगे आओ ले तलवार | 
श्याम नारायण वर्मा 

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Comment by Ashok Kumar Raktale on April 28, 2013 at 9:26am

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा साहब सादर, वीर छंद पर आधारित सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 27, 2013 at 2:00pm

सुन्दर भाव प्रस्तुति के लिए बधाई 

Comment by coontee mukerji on April 27, 2013 at 11:43am

सुंदर प्रयास है  लगे रहिये .श्याम नारायण जी ./सदर  कुंती .

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 26, 2013 at 8:15pm

आ0 श्याम नारायण जी, सुन्दर भाव, बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 3:36pm

जय हो 

बहुत प्रेरणा देती रचना हेतु सादर बधाई, सर जी 

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