दहाड़ते चलो सभी रण में , मारो दुश्मन को ललकार | |
आगे बढ लक्ष्मी बाई सा , रोको इनका अत्याचार | |
मानव ना ये दानव सा हैं , करते पशुवो सा व्यवहार | |
रोने धोने का काम नहीं , देख करो इनका संहार | |
पाप नहीं राक्षस मारे जो , कहते हैं सब वेद पुरान | |
सता दूसरे का घर लूटे , उस का कैसा है ईमान | |
बलशाली बन पाप करे जो , देख जिस से डरता जहान | |
जंगल में घूमे दानव सा , आदमी नहीं है शैतान | |
चुपचाप जब गम दबा लोगी , क्या कर लेगा ये संसार | |
बिलख बिलख ही मर जाओगी , जीना भी होगा बेकार | |
दया कहाँ रहे शैतान को , जिसका काम है दुराचार | |
अबला तुम अब सबला समझो , मत झेलो ये अत्याचार | |
शेरनी कभी चुप ना बैठे , दौड़ कर जा करती शिकार | |
हाथ बांध कर जब बैठेगी ,मुश्किल हो मिलना आहार | |
नये दौर में बदलो दुनिया , वरना जीना हो दुश्वार | |
वर्मा डरो नहीं दुश्मन से , आगे आओ ले तलवार | |
श्याम नारायण वर्मा |
Comment
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा साहब सादर, वीर छंद पर आधारित सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.
सुन्दर भाव प्रस्तुति के लिए बधाई
सुंदर प्रयास है लगे रहिये .श्याम नारायण जी ./सदर कुंती .
आ0 श्याम नारायण जी, सुन्दर भाव, बधाई स्वीकारें। सादर,
जय हो
बहुत प्रेरणा देती रचना हेतु सादर बधाई, सर जी
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