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जय हो भारत , बस जग में |

छोड़ पाप मन का , सत पथ पर चल  , लफडा करना , अब छोडो  |
तज काम क्रोध को , छोड़ लोभ मद  , हरी भजन में  , मन जोड़ो |
लोग शिक्षा पायें , ज्ञान कमायें , प्रेम बढायें , हर जन में |
जहाँ लोग देखें , खुश हो जायें , बस ऐसे बन  , हर मन में | 
है मायावी जग  , कहते हैं सब . तू देख बदल , सब ही को | 
आगे चल सब के , सत पथ पकड़ो , सब गुरु मान लें , बस तुम को |
समाज सुधार दो , कुरीती मिटा ,  लोग ज्ञान लें , तुम ही से |  
प्रकाश फैला दो , मिटा अन्धेरा , लोग सुधरें ,  तुम ही से | 
खुश हों जग वाले , दुःख ना रहे , हर द्वेष मिटे , घर घर  में |
उदासी ना रहे , चहल पहल हो , प्रेम भाव हो , जन जन में |
रोयें ना अबला , भाई चारा हो , आयें जायें , हर घर में |
चोरी भी ना हो , ना बलजोरी , सब मिल खायें , घर वन में |  , 
असत मिटे जग से , हर तन मन से , अब खुशी रहे , जन जन में |
झरना सा निर्मल , सबका तन हो , प्रेम भाव हो , हर मन में |
मिल  भाई भाई , करें सब काम , राम नाम हो , बस मन में |
वर्मा खुशी रहे , घर या वन हो , जय हो भारत , बस जग  में |
श्याम नारायण वर्मा 

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Comment

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 4:07pm

सुन्दर भाव सुसज्जित रचना 

जय हो 

सादर 

जय हो 

आदरणीय वर्मा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 26, 2013 at 10:07am

आ० श्याम नारायण वर्मा जी 

देश प्रेम और समाज सुधार के सुन्दर भाव, जिस हेतु बधाई.

पर अभिव्यक्ति में प्रवाह बिलकुल बाधित है..आप पुनः अवलोकन करें. सादर. 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 26, 2013 at 7:46am

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सादर, भारत देश की जय हो, सुन्दर कामना करती रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 25, 2013 at 9:51am

आ0  श्याम नारायण जी,   बहुत ही सुन्दर और नेक कामना।  बहुत बहुत बधाई स्वीकारें।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

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