For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी दिन मर न जाएँ हम खुशी से - वीनस

मुलाकातें हमारी, तिश्नगी से
किसी दिन मर न जाएँ हम खुशी से

महब्बत यूँ मुझे है बतकही से
निभाए जा रहा हूँ खामुशी से

उन्हें कुछ काम शायद आ पड़ा है
तभी मिलते हैं मुझसे खुशदिली से

उजाला बांटने वालों के सदके
हमारी निभ रही है तीरगी से

ये कैसी बेखुदी है जिसमे मुझको

मिलाया जा रहा हैं अब मुझी से

उतारो भी मसीहाई का चोला
हँसा बोला करो हर आदमी से

खबर से जी नहीं भरता हमारा

मजा आता है केवल सनसनी से

अना के वास्ते खुद से लड़ा मैं
तअल्लुक तोड़ बैठा हूँ सभी से

ये बेदारी, ये बेचैनी का आलम
मैं आजिज आ गया हूँ शाइरी से



बह्र-ए-हजज मुसद्दस महज़ूफ़
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on April 23, 2013 at 10:10pm

पाठक जी धन्यवाद

Comment by ram shiromani pathak on April 23, 2013 at 9:39pm

महब्बत यूँ मुझे है बतकही से
निभाए जा रहा हूँ खामुशी से //////

बेहद सुन्दर गजल।हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर

Comment by वीनस केसरी on April 23, 2013 at 9:27pm

Ashok Kumar Raktale JI HARDIK AABHAR

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 1:14pm

उतारो भी मसीहाई का चोला
हँसा बोला करो हर आदमी से..... हमेशा कड़वी दवाई देता है  कभी डाक्टर ये भी तो कहे "आओ कुछ मीठा हो जाये......."

खबर से जी नहीं भरता हमारा

मजा आता है केवल सनसनी से........... अजीब पागलपन है.

आदरणीय वीनस जी बहुत सुन्दर गजल कही है. सभी अशआर सुन्दर हैं.बहुत बहुत दाद कुबुलें.

Comment by वीनस केसरी on April 23, 2013 at 12:53am

सौरभ जी, डॉ. अजय खरे जी आपका हार्दिक आभार

आशीष जी,
अश्आर  ो   आपको पसंद आए, जान कर बेहद खुशी हुई

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on April 22, 2013 at 9:36pm

उतारो भी मसीहाई का चोला
हँसा बोला करो हर आदमी से  ||

वाह वाह !!! भाई वीनस जी लाजवाब अशआरों से सजी उम्दा ग़ज़ल |
दाद कुबूल कीजिये.....

Comment by Dr.Ajay Khare on April 22, 2013 at 1:18pm

keshri ji sunder rachana ke liye badhai


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 22, 2013 at 8:45am

इधर प्रवास और कड़े स्केड्युल के कारण देर से आपकी ग़ज़ल पर आ पाया हूँ.

हर शेर कमाल-कमाल हुआ है. कुछ तो देर तक मथते हैं.

महब्बत यूँ मुझे है बतकही से
निभाए जा रहा हूँ खामुशी से

उजाला बांटने वालों के सदके
हमारी निभ रही है तीरगी से

ये कैसी बेखुदी है जिसमे मुझको

मिलाया जा रहा हैं अब मुझी से

उतारो भी मसीहाई का चोला
हँसा बोला करो हर आदमी से

अना के वास्ते खुद से लड़ा मैं

तअल्लुक तोड़ बैठा हूँ सभी से

अपने-अपने परिप्रेक्ष्य में हुए ये शेर देर तक मन में खौलते हैं. बहुत-बहुत बधाई इस ग़ज़ल पर. ढेर सारी दाद दे रहा हूँ. 

Comment by वीनस केसरी on April 22, 2013 at 12:09am

इस हौसला अफजाई के लिए आप सभी का हार्दिक आभार ....

Comment by Abhinav Arun on April 20, 2013 at 8:56am

उतारो भी मसीहाई का चोला 
हँसा बोला करो हर आदमी से 

 *****

खबर से जी नहीं भरता हमारा

मजा आता है केवल सनसनी से

वाह वाह श्री वीनस जी क्या कहने ग़ज़ल का हर शेर रवां है और बाअसर , एक यादगार और मुहावरों सी जुबां पे चढ़ जाने वाली ग़ज़ल के लिए तहे दिल से मुबारकबाद !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'जज़्बात के शोलों को…"
15 hours ago
Samar kabeer commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । मतले के सानी में…"
15 hours ago
रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
Monday
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Saturday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
Friday
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
Oct 31
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
Oct 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
Oct 31
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Oct 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service