For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम और तुम्हारी यादें

तुम और तुम्हारी यादें .. दिल से जाती ही नहीं ...
कई बार चाहा तुम चले जाओ..
मेरे दिल से .. मेरे दिमाग से ...

हर मुमकिन कोशिश कर के देख लिया ..
पर नाकाम रहे ...
कभी कभी सोचते हैं ..ऐसा क्या है हमारे बीच ...
जिसने हमें बांध कर रक्खा है ..
हमारा तो कोई रिश्ता भी नहीं ..

फिर क्या है ये ...?
"लेकिन नहीं" हैं न ..हमारे बीच एक सम्बन्ध ..
एहसास का सम्बन्ध ..
ये क्या है ..नहीं बता सकती मैं ..
एहसास को शब्दों में नहीं बाँध सकती मैं ...
उन्हें तो सिर्फ महसूस किया जाता है ...

सालों बीत गए ...
पर लगता है जैसे कल ही की बात है ..
तुम और मैं
मैं और तुम
कभी जुदा हुए ही नहीं ....

Views: 1058

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Lata R.Ojha on December 27, 2010 at 12:41am
mann ke komal bhaavon ki ek sundar abhivyakti..bahut khoob :)
Comment by madan kumar tiwary on December 21, 2010 at 8:30am

“लेकिन नही” वाह वाकई रोमांटिक है । अनाम रिश्ते का भी होता है एक नाम। न और हां , इन्कार और इकरार , नफ़रत और प्यार , हैं तो एक ही सिक्के के दो पहलू।

 

Comment by Nemichand Puniya on December 17, 2010 at 10:01pm
madam, I am much obelijed to u . many thanks
Comment by Nemichand Puniya on December 15, 2010 at 3:37pm
thx a lot
Comment by Rash Bihari Ravi on December 10, 2010 at 9:29pm

bahut badhia khubsurat

Comment by aleem azmi on December 10, 2010 at 8:39pm

bahut umda

Comment by DEEP ZIRVI on December 8, 2010 at 4:22pm
"लेकिन नहीं" हैं न ..हमारे बीच एक सम्बन्ध ..waaaaaaaah
Comment by Bhasker Agrawal on December 8, 2010 at 3:42pm
sunder kavita hai
Comment by s. chauhan on November 26, 2010 at 2:50pm
अनिता जी प्रणाम

बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने.....

याद तुम्हारी आती है और हो जाती हैं आँखे नम
सोचा करता हूँ फिर से कब गूंजेगी जीवन सरगम
पुनर्मिलन के स्वप्न संजोए मुस्काता रहता हरदम
ऐसा लगता है जैसे युग युग से दूर हुए छूटे हैं हम


धन्यवाद
Comment by Hilal Badayuni on November 23, 2010 at 7:31pm
अनीता जी आदाब
मैंने आपका कलाम देखा और गौर भी किया
वाकई मै एक नज़र में ही समझ गया के आप शायरी के मैदान में बहुत दूर तक जाओगी और नाम रोशन करोगी जिस तरह की सलाहियत है आपकी ज़बान में
ये अगर आपकी इब्तिदा है तो इन्तहा बहुत लाजवाब होगी
मेरी बातों को ध्यान रखियेगा इसी तरह एक सही राह लेकर लिखती रहे आपकी कोशिश यकीनन सफल होगी
शुक्रिया
हिलाल अहमद हिलाल

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
11 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service