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गद्य के खंड रचे
प्रवाह भर भर के
इतना प्रवाह के
कविता टिक न सकी
पल भर को
उड़ गयी कहीं दूर
बहुत दूर
कवियों की खोज मे


और लेखक इतराता है
अतुकान्त का बोध कराता
स्वयं को
गुपचुप मुस्काता
सोचता है
कौन जानता है
कविता का आंतरिक सौंदर्य
बाहरी परिवेश
इंफ्रास्ट्रकचर ठीक
मतलब सब ठीक

अंदर जा के
किसको क्या मिला है
लय छन्द ताल
व्यर्थ हैं भाव के बिना
फिर एक मुस्कान भरता है
देखा हो गया न आसान
खुद को जॅस्टीफ़ाई करना
बन गया न गद्य
कविता प्रवाह युक्त
बिल्कुल मुक्त
मुक्त काव्य
शिल्प है न !!

अतुकान्त

संदीप पटेल "दीप"

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Comment

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Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 14, 2013 at 1:28pm

आदरणीय गुरुदेव सादर प्रणाम 

आपकी बधाई पाकर लेखन सफल हुआ 

स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये 

सादर आभार आपका 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2013 at 7:28am

...   लेखक इतराता है
अतुकान्त का बोध कराता
स्वयं को
गुपचुप मुस्काता
सोचता है
कौन जानता है
कविता का आंतरिक सौंदर्य

:-)))))

बधाई, भाई संदीपजी .. .

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 5, 2013 at 10:06pm

आदरणीया डॉ प्राची जी, आदरणीया कुंती जी, आदरणीय राम भाई , आदरणीय अशोक सर जी, आदरणीय केवल जी , आदरणीय संदीप भाई, आदरणीय लक्ष्मण सर जी आप सभी का ह्रदय से धन्यवाद इस प्रयास को सराहने हेतु

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

सादर आभार आप सभी का

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2013 at 7:54pm

वाह ! संद्देप भाई मै तो ओबीओ में आने से पहले अतुकांत का ही आनंद लेता आ रहा था | मैंने विध्य्यार्थी जीवन में और युवा 

अवस्था में हकीकत" अग्रागामी मासिक, और निराला समाज त्र्स्दामासिक का सम्पादन तक किया है जब तक मै छंद शिल्प 

विधा से अनभिग्य था, आपकी पैरवी से कुछ तसल्ल्ली सी हुई | सुन्दर रचना के लिए बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 12:28pm

आदरणीय संदीप पटेल जी, बहुत बहुत सुन्दर, बधाई स्वीकारें।

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 5, 2013 at 2:58am

:-)

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 4, 2013 at 10:51pm

आदरणीय संदीप कुमार पटेल जी, बहुत ही सुगढ़ शैली में पता ही नही चलता कि कविता कब समाप्त हो गई। बहुत बहुत सुन्दर, बधाई स्वीकारें।

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 4, 2013 at 9:39pm

आदरणीय संदीप जी सादर गद्य रचना को बल देती सुन्दर अतुकांत रचना. बधाई स्वीकारें.

Comment by coontee mukerji on April 4, 2013 at 6:16pm

संदीप जी कविता भावनाएं व्यक्त करने का एक अच्छा माध्यम है जिसमें एक सन्देश हो तो सोने में सुहागा है .धन्यवाद  .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 4, 2013 at 4:58pm

आदरणीय संदीप पटेल जी,

अतुकांत काव्य की अच्छी पैरवी की है...

बधाई 

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