For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फाग का महीना. ( मनहरण घनाक्षरी पर एक प्रयास)

ढाक अमलतास पे, आ गयी बहार देखो,

सेमर भी कुसुमित, फाग का महीना है |

 

सारे रंग लाल-लाल, फूलों पर दिखाई दें,

कुहु-कुहू कोयल की, राग का महीना है |

 

सूरज का ताप तन, बदन झुलसायेगा,

तपन दहन वह्नि, आग का महीना है |

 

सैर सपाटा सुबह, मन में उल्लास भरे,

नदियाँ तलाव नीर, बाग़ का महीना है ||

 

 

मौलिक / अप्रकाशित.

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 9, 2013 at 12:30am

प्रिय अशोक भाई सुन्दर छंद ...मनहरण मनभावन ..मनोहारी ...रंग खिल रहे हैं  

सुन्दर रचना 
भ्रमर ५ 
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 5, 2013 at 8:37pm

सादर आभार भाई राम शिरोमणि जी.

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 12:06pm

आदरणीय श्री अशोक सर बहुत सुन्दर  मनभावन  आपको बहुत बहुत बधाई।

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 5, 2013 at 8:26am

आदरणीय संदीप जी सादर, जी सच है समयाभाव के कारण मैं भी कई दिनों से आपकी गजलों से वंचित रहा हूँ. आपकी शुभकामनाओं के लिए ह्रदय से आभार.यूँ ही स्नेह बनाए रखें.सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 5, 2013 at 8:24am

आदरणीय केवल प्रसाद जी बहुत बहुत आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 5, 2013 at 8:23am

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी हाँ सुबह सपाटा सैर...  से अवश्य ही सुधार हो रहा है, मुझे लगता है मैं अब इस लय के कुछ और नजदीक पहुँचा हूँ. आपके सुझावों ने इस छंद की गति पर जो प्रकाश डाला है मैं उसे आत्मसात करने का प्रयास करूँगा. सादर आभार.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 5, 2013 at 3:04am

आदरणीय अशोक जी,

कई मास के पश्चात आपकी रचना का रसास्वादन करने के उपरान्त टिप्पणी करने का भी अवसर प्राप्त हुआ है..!! इतने सुन्दर छंद और उतने ही सुन्दर भाव..!! सादर शुभकामनाएँ..

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 4, 2013 at 10:41pm

आदरणीय श्री अशोक कुमार रक्ताले जी,  फाग का महीना है..अतिसुन्दर एवं मनभावन।  आपको बहुत बहुत बधाई।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 4, 2013 at 10:24pm

आप द्वारा ही संशोधित घनाक्षरी अच्छी बन पड़ी है.

सैर सपाटा सुबह  के क्रम को ठीक उलट दें तो देखिये स्वर परभी वह पद आ जायेगा, ऐसा मझे प्रतीत हो रहा है.

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 4, 2013 at 9:00pm

कानन पलाश खिले, आयी है बहार नई,

सेमर भी कुसुमित, फाग का महीना है,

सारे रंग लाल-लाल, फूलों पर दिखाई दें,

कुहु-कुहू कोयल की, राग का महीना है,

सूरज तपन तन, बदन अगन भर,

दाह रही तन मन, आग का महीना है,

सैर सपाटा सुबह, मन में उल्लास भरे,

नदियाँ तलाव नीर, बाग़ का महीना है ||

आदरणीय सौरभ जी, भाई संदीप जी, आदरेया सीमा जी सादर मैंने कुछ सुधार करने का प्रयास किया है. क्या मैं सही दिशा में प्रयास कर रहा हूँ? वर्णिक छन्दों में मनहरण मेरे पसंदीदा छंद है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
9 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service