सरला का छोटा सा सुखी परिवार था. वह बहुत ही अनुशासप्रिय थी. उसके दो बच्चे थे. एक बेटा एक बेटी. बेटा पाँच साल का था और बेटी तीन की. दोनों को अपने काबू में रखती थी सरला.
जब भी कहीं बाहर जाती बच्चों को घर के अंदर रहने की हिदायत देकर बाहर से मुख्य द्वार में ताला लगा देती. बच्चे जब तक बोलने लायक न थे सबकुछ ठीक चलता रहा. एक दिन सरला कहीं बाहर से आयी तो देखा बेटा घर में नहीं है. वह सारा घर छान मारी, आस पास देखा. मगर
बेटा कहीं भी नहीं मिला. वह परेशान होकर अपने पति को जब फ़ोन करना चाही तो देखा उसका बेटा उछलता-कूदता घर में घुस रहा है. सरला को बहुत गुस्सा आया. उसने बेटे का कान पकड़कर कहा – “ कहाँ गया था बिन बताए. मैं कितनी परेशान हो गयी थी. “
बेटे ने बड़ी शांति से कहा, “आप कहीं जाती हैं तो मुझसे कह कर जाती हैं..?”
उसका जवाब सुनकर सरला अवाक रह गयी.
उस दिन के बाद से वह कहीं भी जाती है अपने बच्चों से कहके जाती है.
Comment
बहुत बढ़िया
बढ़िया !!! आज के समय में व्यस्त माता-पिता को एक अनोखी सीख...
बच्चों के मनोविज्ञान के अनुसार ही उनका पालन पोषण होना चाहिए... वो हर एक छोटी से छोटी बात को भी नोटिस करते हैं, और उसी का अनुसरण करने लगते हैं जैसा बड़ों को देखते हैं.... इस सुन्दर लघुकथा के लिए बधाई कुंती मुखर्जी जी
आदरणीया कुंती जी:
सरल शब्दों में महत्वपूर्ण संदेश देती लघु-कथा के लिए बधाई।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीया, कुन्ती मुखर्जी जी, सबसे पहले आपको सपरिवार प्रेम एवं सद्भावना का प्रतीक होली के पावन त्योहार पर हार्दिक शुभकामनाएं। वास्तव में हम बच्चों से अनुशासन बध्य होने की अपेक्षा रखते हैं। किन्तु जहां हमारी बारी आती है, हम सदैव शिथिल ही रहते है। बहुत सुन्दर सीख। बधाई स्वीकार करें, सादर।
बच्चे वही सीखते है जो हम सिखाते है, वास्तव में बच्चे कहने से ज्यादा हामारे व्यवहार को देखते है, हम अपने आचरण से ही
उन्हें अच्छे संस्कार दे सकते है | सुन्दर सन्देश देती रचना के लिए बधाई
बच्चे हमेशा बडों का अनुसरण करके बड़े होते हैं यदि उनको अच्छे संस्कार देने हैं तो सर्वप्रथम अपने आचरण को ठीक रखना होगा बहुत बढ़िया संदेश देती हुई लघु कथा के लिए कुंती जी बधाई आपको |
छोटी सी लघुकथा प्रेरणादायक है !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online