For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम प्रणय का आज क्यूँ ,हो पाता इज़हार |

प्रीत दिवस के बाद क्या ,खो जाता है प्यार ?

सच्चे मन से कीजिये ,सच्चे दिल का प्यार |

निश्छल दिल ही दीजिये,जब करना इज़हार||

पश्चिम का तो चढ़ रहा ,प्रेम दिवस उन्माद |

अपने पर्वों के लिए ,पाल रहे अवसाद||

युवक युवतियों के लिए ,दिन है बहुत विशेष |

खुली मुहब्बत का मिले ,हर दिल को संदेश||

पश्चिम के त्यौहार का ,डंका बजता आज |

प्रेम दिवस के सामने ,गुमसुम है ऋतुराज||

लगा डुबकियाँ कुंभ में ,तन का मैल उतार |
कहाँ उतारे सोच ले ,मन का शेष विकार||

**********************************************

Views: 592

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 7, 2013 at 8:02am

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी आपका हार्दिक आभार| 

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 6, 2013 at 11:47pm

दिवस विशेष के अनुसार बहुत सुन्दर रचना. हार्दिक बधाई आदरेया राजेश कुमारी जी.सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 16, 2013 at 7:22pm

आदरणीय गणेश बागी जी  आपको दोहे पसंद आए मेरा लिखना सार्थक हुआ हृदय से आभारी हूँ 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 16, 2013 at 7:13pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , ये दोहे क्या कुछ नहीं समेटे हैं , बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, बधाई स्वीकार करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 16, 2013 at 1:11pm

बहुत बहुत शुक्रिया प्रवीण जी आपको दोहे पसंद आए 

Comment by Parveen Malik on February 16, 2013 at 1:01pm

सच्चे मन से कीजिये ,सच्चे दिल का प्यार |

निश्छल दिल ही दीजिये,जब करना इज़हार||

सही कहा राजेश जी एक दिन बाद क्या खो जाता है प्यार...प्यार कभी नहीं खोता समय के साथ गहरा हो जाता है ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 15, 2013 at 8:22pm

आदरणीय प्रदीप कुमार जी आपको दोहे पसंद आए और प्रतिक्रिया में अपने सुंदर भाव जोड़े हार्दिक आभार आपका 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on February 15, 2013 at 5:40pm

प्रेम प्रणय का आज क्यूँ ,हो पाता इज़हार |

प्रीत दिवस के बाद क्या ,खो जाता है प्यार ?

खो जाता है प्यार फूल को फूल क्यों देते 

चुभ जाते जब कांटे तब काहे को रोते 

सुन्दर प्रस्तुति हेतु आभार 

आदरणीया राजेश कुमारी जी 

सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 15, 2013 at 10:19am

हार्दिक आभार मंजरी पांडेय जी बसंत पंचमी कि बधाई आपको

Comment by mrs manjari pandey on February 15, 2013 at 10:08am

प्रीत दिवस के प्रीत भींगे दोहे मन को भा  गए। ऋतु बसंत की नाइन हिय पे शबद  बाण चला गए।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service