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जय श्रीकृष्ण देवकीनंदन | हूँ कर जोड़े, करता वंदन ||
दुख-विपदा से आप निवारो | मेरे बिगड़े काज सँवारो||
भगवन जग है तेरी माया | कण-कण तेरा रूप समाया ||
जगत नियंता, हे करुणाकर | तेरी ज्योति चंदा-दिवाकर ||
देवराज आरती उतारें | नारद जय-जयकार उचारें ||
तीनों लोकों में हो पूजा | नाथ तुम सम कौन है दूजा ||
दिवस अष्टमी भादो मासे | चमका कारागार कृपा से ||
हुए अवतरित जगत-कृपाला | पीले वसन, गले में माला ||
रूप चतुर्भुज, तेज दिखाया | माता के मन को अति भाया ||
माता ने विनती दुहराई | बन शिशु माँ की गोद सजाई ||
धर्महित एक काज बताया | पिता ने नन्द घर पहुँचाया ||
पले वहीं गिरधर गोपाला | बन के नन्द-यशोदा लाला ||
मटकी फोड़ी, माखन खाये | गोप-गोपियों को हर्षाये ||
तृणावर्त, शकटासुर मारे | केशी, बकासुर को संहारे ||
कालिय को भी मार भगाया | लोगों को भयमुक्त बनाया ||
सुरपति को अहं से उबारा | गोवर्धन उँगली पर धारा ||
बंसीवाला रास रचैया | चक्रधारी कृष्ण कन्हैया ||
दीन-हीन पर दया दिखाई | पापी कंस से मुक्ति दिलाई ||
मित्र सुदामा जो घर आये | प्रभु ने उनके भाग्य जगाये ||
शरणागत पर दया दिखाई | द्रुपदसुता की लाज बचाई ||
गीता ज्ञान अर्जुन को दिया | सदा ही धर्म का काम किया ||
राधे-राधे जो दुहराये | कभी भी भय न उसे सताये ||
जपे नाम राधेकृष्णा का | हो न दुख किसी मृगतृष्णा का ||

 

|| जय श्री राधेकृष्ण || जय श्री राधेकृष्ण || जय श्री राधेकृष्ण ||

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Comment

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Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 14, 2012 at 9:38am
आदरणीय रक्ताले सर, आपका हार्दिक आभार...
Comment by Ashok Kumar Raktale on August 14, 2012 at 8:47am

गौरव जी

         बहुत सुन्दर भगवान श्री कृष्ण कि वन्दना. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 14, 2012 at 6:40am

आदरणीय सुरेन्द्र जी........आपका हार्दिक आभार..........आपका कहना बिलकुल सही है, सौरभ सर ने अति उत्तम सुझाव दिये हैं | जय श्री राधे |

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 13, 2012 at 7:13pm
 प्रिय अजीतेंदु जी आप से पहले हम सौरभ भ्राता श्री को दाद देते हैं गुरुवर ने बहुत सुन्दर बनाया इस आप की भक्ति चालीसा को ....आप के प्रयास काविले तारीफ़ हैं मेहनत रंग लाती ही है ... बधाई ..
जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 
Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 11, 2012 at 4:48pm

जय कन्हैयालाल की मित्र संदीप पटेल जी....आभार...

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 11, 2012 at 1:54pm

जय जय कन्हैयालाल की जय बहुत सुन्दर वंदना की है आपने बधाई आपको

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 11, 2012 at 12:48pm
आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर, आपका हार्दिक आभार। अति उत्तम सुझाव दिये हैं आपने। मुझे आपसे ऐसे ही मार्गदर्शन की अपेक्षा है। यही स्नेह बनाए रखिएगा...
Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 11, 2012 at 12:41pm
आदरणीया राजेश जी, आपका हार्दिक आभार...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2012 at 10:16am

चौपाई छंद में लिखने का बहुत अच्छा प्रयास किया है आपने, भाई अजीतेन्दुजी.  हार्दिक बधाई.

सोलह की मात्रा का भरसक निर्वहन हुआ है लेकिन इसी के साथ पंक्तियों में शब्द संयोजन पर भी ध्यान देते रहें, गेयता समृद्ध होती है.

उदाहरणार्थ, -

जय श्रीकृष्ण देवकीनंदन | हूँ कर जोड़े, करता वंदन ||

जय श्रीकृष्ण देवकीनन्दन । मैं कर जोड़े करता वन्दन ॥

दुख-विपदा से आप निवारो | मेरे बिगड़े काज सँवारो||

दुख विपदा से आप निवारो । सगरे बिगड़े काज सँवारो ॥

जगत नियंता, हे करुणाकर | तेरी ज्योति चंदा-दिवाकर ||

जगत नियंता हे करुणाकर । ज्योति तिहारी चंद्र-दिवाकर ॥

देवराज आरती उतारें | नारद जय-जयकार उचारें ||

देव आरती स्वयं उतारें । नारद जयजयकार उचारें ॥

तीनों लोकों में हो पूजा | नाथ तुम सम कौन है दूजा ||

तीनों लोकों में हो पूजा । तुम सम नाथ कौन है दूजा ॥

हुए अवतरित जगत-कृपाला | पीले वसन, गले में माला ||

हुए अवतरित जगत-कृपाला । पीत वसन अरु कंठहिं माला ॥

धर्महित एक काज बताया | पिता ने नन्द घर पहुँचाया ||

धर्म साधता काज बताये । पिता नन्द के घर पहुँचाये ॥

........ 

........

इसी तरह का कुछ प्रयास पंक्तियों को सरस बनाता है. विश्वास है, मेरा साग्रह सुझाव सम्यक जान पड़ा होगा.

हार्दिक शुभकामनाएँ.. .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 11, 2012 at 9:51am

बहुत सुन्दर भक्ति रस से सराबोर वंदना बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

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