For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुखी आत्मा (लघुकथा)

एक भजन लेखक,शायर का देहांत हो गया इसलिए दाहसंस्कार के लिए कुछ एक जानने पहचानने वाले  लोग दोस्त मित्र,रिश्तेदार उनके घर पर एकत्रित हो गए I सब लोग अपने अपने ढँग से उनकी विधवा  पत्नी से संवेदनाएँ व्यक्त कर रहे थे उनकी लेखनी की तारीफ कर रहे थे.... उन्हें  कुछ अवार्ड भी मिले थे उसकी चर्चा भी हो रही थी Iकुछ देर बाद एक मित्र नें उनकी विधवा पत्नी से  कहा .....भाभी जी दाहसंस्कार के लिए लकड़ी व अन्य सामग्री की ज़रुरत पडेगी इसलिए लगभग दस हज़ार रुपये दे दीजिए ....दस हज़ार.....?... यह सुनकर वह  चौंकते हुए बोली भाई साहब  इनकी कुल जमा पूँजी भी इतनी नहीं है...... सारे बैंक खाते भी खंगाल लो तो भी  दो ढाई हज़ार से ज्यादा नहीं निकलेंगे.....सो दस हज़ार कहाँ से निकालूँगी मैं ....? कमबख्त मंगल सूत्र भी नकली चाँदी का है.... कोई बीस रुपये नहीं देगा इसके........ Iखैर.......यह लो पांच सौ रुपये इससे सामग्री तो आ जाएगी बाकि  दाहसंस्कार के लिए तो घर में इनके लिखे हुए कागजों की  रद्दी ही बहुत है....सारी उम्र इन्होंने और किया  ही क्या है...? एक लिखने का ही काम तो  किया है...भजन,कहानियां, कविताएँ,गज़लें,लिख लिख कर कमरों के कमरे भर दिए हैं I  वैसे भी इनके बाद यह  सारी रद्दी कवाड़ी को ही बेचनी पडेगी आजकल इन्हें पढने वाला है ही कौन.....? चलो इसी बहाने इन बेचारों का  दाहसंस्कार भी हो जाएगा और कागजों का कबाड़ भी ख़ाली हो जाएगा........ हे राम....दुखी हो गयी थी मैं इन कागजों से...I

----------


दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
26 -04 -2012 . 

Views: 732

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on May 5, 2012 at 2:58pm
आदरणीय दीपक जी , नमस्कार ,
हिंदी साहित्यकारों की दशा का वास्तविक चित्रण है आपकी कथा में और अगर घर वाले भी मूढ़ मति हो ..तो ऐसा होना वास्तविक है ...
आदरणीय सौरभ सर ने सही बताया ये घटना कुछ सालो पहले प्रकाश में आ चुकी है ..
बहुत-२ बधाई आपको
Comment by Shubhranshu Pandey on May 2, 2012 at 8:42pm

ये कथा अस्वाभाविक नहीं है....पटना विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्रीय गणित के लेक्चरर थे गोरख बाबू (अगर मैं गलत नहीं हूँ ) UK से गोल्ड मैडल जीतने के बाद बिहार आये थे और किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे....उनकी धर्मपत्नी ने सारे रिसर्च पेपर को चुल्हे में जला दिया कि पता नहीं क्या क्या कबाड भरे रहते हैं.....

 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 29, 2012 at 2:04pm

aadarniya deepak ji yatharth chitran hetu badhai. 

Comment by Abhinav Arun on April 28, 2012 at 12:52pm

कथा आज की व्यवस्था में साहित्यकारों की साख और उनके वास्तविक मूल्य को दर्शाती है हार्दिक बधाई इस अभिव्यक्ति  पर !!

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on April 28, 2012 at 10:15am

केसरी जी कसावट तो  मेरे बाद ही आएगी जब मेरा लिखा कवाड़ भी  बिकेगा I योगराज जी हिन्दोस्तानी (पहाड़ी कुल्लुवी ) ही हो सकता है I आशीष जी सीमा जी   बागी जी,पाण्डेय जी ,प्रताप जी राजेश जी आप   सबका हार्दिक धन्यवाद कहानी पसंद नापसंद करने के लिए I

-----
ग़ालिब तेरी गलियों में बिकेंगे अपने शे-र
याद करेगी दुनियां जब हो जाएँगे हम ढेर 
.............
Comment by आशीष यादव on April 27, 2012 at 11:35pm

 मै जहाँ तक समझ सका, आपने आज के समाज पर व्यंग लिखा है जो साहित्य से पूरी तरह दूर होता जा रहा है। लेकिन ये परम्परा देखी जाय तो बहुत पुरानी है, क्योंकि प्रेमचंद जैसे सुप्रसिद्ध कहानीकार एवँ उपन्यासकार को भी गरीबी झेलनी पड़ी।

Comment by वीनस केसरी on April 27, 2012 at 10:59pm

चलो इसी बहाने इन बेचारों का दाहसंस्कार भी हो जाएगा

अगर यह बात रचनाओं के लिए कही गयी है तो बड़ा करारा हथौड़ा मारा है... वैसे बात असपष्ट है
बुनावट को और कसा जाये तो और मजा आये ...



सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 27, 2012 at 10:47pm

कहानी तो एक तरफ टिपण्णी पढ़कर ही मजा आ रहा है और सीमा जी का ??????संवाद तो बस !!और सौरभ जी की टिपण्णी को समझने  की कोशिश कब से कर रही हूँ !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 27, 2012 at 10:38pm

बूड़ल बँस कबीर के जामल पूत कमाल.. .  जे इहवाँ त लिखइलको ले बेकारथ.. !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on April 27, 2012 at 10:30pm

सब कुछ तो ठीक लगा पर मंगल सूत्र का नकली चांदी का होना नहीं जमा |

चलो इसी बहाने इन बेचारों का  दाहसंस्कार भी हो जाएगा 

कागज़ का या इन पर लिखने वाले का ??????

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service