मेरे अंजुमन में रौनकें बेशक़ कम होंगी ज़रूर
क्या सोच के दोज़ख़ की तरफ़ चल दिए हज़ूर
आपने तो एक बार भी मुड़के देखा नहीं हमें
न जानें था किस बात का अपने आपपे गरूर
यह वक़्त किसी के लिए रुक जाएगा यहाँ
निकाल देना चाहिए सबको दिमाग़ से यह फ़ितूर
चढ़ जाए एक बार तो हर्गिज़ उतरता ही नहीं
क़लम का हो शराब का हो या शबाब का हो सरूर
मासूम से थे हम 'दीपक' शायर 'कुल्लुवी'हो गए
हमसे क्या आप खुद से भी हो गए बहुत दूर
दीपक…
ContinueAdded by Deepak Sharma Kuluvi on April 17, 2014 at 11:30am — 12 Comments
'दामिनी' चली गई दुनियां से
छोड़ गई कितने सवाल
क्या लड़की होना ही था
उसका घोर अपराध ?
जब तक फाँसी पर न लटकेंगे
उसके अपराधी
शांत न होगी रूह उसकी
कब होगा इन्साफ
कितने सपने संजोए होंगे
कितने देखे होंगे ख़्वाब
पूरे हुए,न रहे अधूरे
जिंदगी ने छोड़ा साथ
कानून की देवी की जो खुली न …
Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 29, 2012 at 12:00pm — 5 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 28, 2012 at 11:31am — 6 Comments
(फाँसी से कम नहीं )
इन्हें फाँसी पर लटका दो
या गोलियों से मरवा दो
बलात्कारियों की रूह काँप जाए
इन्हें ऐसी कड़ी सजा दो
इन दरिंदों को जिंदा न छोड़ो
पहले इनके हाथ पाँव तोड़ो
जिंदा सूली पर लटका दो
लाश चील कव्वों को खिला दो
इनके घिनोने जुर्म की
और सज़ा न कोई
शर्मसार है भारत माँ
माएँ फूट फूट कर रोई
हद कर दी हैवानियत की
जली होली इंसानियत की
कड़े कर दो कानून नियम
जलाओ चिता शैतानियत…
Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 19, 2012 at 12:34pm — 4 Comments
हम उनके कर्ज़दार नहीं,वोह मेरे कर्ज़दार हैं
हम तो आज भी सर आँखों पे बिठाने को तैय्यार हैं
वोह चाहे तो आजमा ले, हम जीत जाएँगे
हमें अपनी दिल्लगी पे ऐतवार है
***(न सुना पाऊंगा) ***
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बुझ जाऊँगा
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----
(1)धुँधली सी हो…
Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 10, 2012 at 12:00pm — 1 Comment
Added by Deepak Sharma Kuluvi on November 27, 2012 at 2:45pm — 5 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on November 22, 2012 at 10:28am — 3 Comments
वोह दूर क्या हुए
Added by Deepak Sharma Kuluvi on November 19, 2012 at 11:30am — 4 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on November 10, 2012 at 5:24pm — 1 Comment
Added by Deepak Sharma Kuluvi on November 10, 2012 at 11:33am — 3 Comments
कल फिर से जलेगा रावण
मन शांत और दिन पावन
रौनक छाई चेहरों पे ऐसे
पतझड़ में जैसे आया सावन
रावण को जलाने से पहले
अपनें भीतर भी झांको
उसके कर्मों से प्यारे
अपनें कुकर्म भी आँको
उन्नीस बीस का फर्क दिखेगा
उसके ज्यादा कुछ न मिलेगा
रावण तो था शूरवीर
पंडित था…
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 23, 2012 at 11:00am — 3 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 22, 2012 at 12:26pm — 5 Comments
यह मेरा दर्द है,आँखों से छलक आता है
यूँ ही पैमाना,बदनाम हुआ जाता है
लाख कह ले यह ज़माना,न जीना आया हमें
वक़्त अच्छा हो बुरा हो,गुज़र तो जाता है
सबको हँसता हुआ देख लूँ,मैं चला जाऊँगा
यूँ भी "दीपक" जलनें से कहाँ बच पाता है
मैं न अपनों को याद आऊँ,न गैरों को
प्यार उस हद तक मेरा मुझको,नज़र आता है…
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 17, 2012 at 1:00pm — 3 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 17, 2012 at 11:44am — 3 Comments
यह हिन्दोस्तान है प्यारे
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 17, 2012 at 10:52am — No Comments
कुछ भी हो सकता है
जंगल राज है कुछ न कहो
ख़ामोशी अपनाओ
बापू के तीन बंदरों जैसे
ज्ञानी बन जाओ
अच्छा देखो न बुरा ही देखो
न ही सुनो न कहो
सुखी जो रहना चाहते हो
मूक दर्शक बन जाओ
वर्ना कुछ भी हो सकता है
सब कुछ लुट सकता है
मौत से डर नहीं लगता तो
हरगिज़ न घबराओ
फैसला आपके हाथ में है
कैसे जीना चाहते हो
इज्जत अगर है प्यारी
मेरे साथ आओ
मेरे साथ आ....…
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 9, 2012 at 1:17pm — 6 Comments
बिनम्र भाव से बोले रावण
क्या मुझे जलाने आए हो
ज्ञानी पंडित भी साथ न लाए हो
मेरी मुक्ति कैसे होगी ?
मेरी मुक्ति नहीं होती
तभी तो बच जाता हूँ
सबसे अधिक बार जलने का
गिनीज़ वर्ल्ड रिकार्ड बनाता हूँ
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 9, 2012 at 11:00am — 5 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 4, 2012 at 2:30pm — 4 Comments
खुदा बहुत ही चालाक है
Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 27, 2012 at 11:12am — 2 Comments
समझाओ
वफ़ा हमसे करो या न करो पर गैर न समझो
मुहब्बत हमने की थी क्या खता थी यह तो बतलाओ
मिले तो आप ही छुप छुप के कितनी मर्तवा हमसे
अब किसका था कसूर ऐ-दिल बस इतना तो समझाओ
कहीं 'दीपक' जले तो रौशनी ज़रूर होती है
हमारा दर्द भी समझो बार बार न जलाओ
सुना है बेवफा रोते नहीं आंसू नहीं आते
ऐसा नुस्खा प्रेम का हमको भी दे जाओ…
Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 20, 2012 at 3:30pm — No Comments
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