For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : ज़िन्दगी की है ये मेरी दास्ताँ

अरकान : 2122 2122 212

ज़िन्दगी की है ये मेरी दास्ताँ

तुहमतें, रुसवाइयाँ, नाकामियाँ

आए थे जब हम यहाँ तो आग थे

राख हैं अब, उठ रहा है बस धुआँ

दिल लगाने की ख़ता जिनसे हुई

उम्र भर देते रहे वो इम्तिहाँ

सोचता हूँ क्या उसे मैं नाम दूँ

जो कभी था तेरे मेरे दरमियाँ

मैं अकेला इश्क़ में रहता नहीं

साथ रहती हैं मेरे तन्हाइयाँ

कहने को तो कब से मैं आज़ाद हूँ

पाँव में अब भी हैं लेकिन बेड़ियाँ

जीते जी लेता नहीं कोई ख़बर

एक दिन ढूँढेंगे सब मेरे निशाँ

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on November 10, 2022 at 6:47am

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय समर कबीर सर। दिल से आभारी हूँ।

Comment by Samar kabeer on November 5, 2022 at 6:40pm

जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही आपने , बधाई स्वीकार करें  I 

तोहमतें ---"तुहमतें"

Comment by Mahendra Kumar on November 3, 2022 at 2:29pm

आदरणीय बृजेश जी, आभारी हूँ। बहुत शुक्रिया।

Comment by Mahendra Kumar on November 3, 2022 at 2:29pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय Zaif जी। हार्दिक आभार।

Comment by Mahendra Kumar on November 3, 2022 at 2:28pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आभारी हूँ। दिल से शुक्रिया।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 1, 2022 at 7:03pm

वाह आदरणीय महेंद्र जी वाह...क्या ख़ूब ग़ज़ल कही...बधाई

Comment by Zaif on October 30, 2022 at 2:36pm

जीते जी लेता नहीं कोई ख़बर
एक दिन ढूँढेंगे सब मेरे निशाँ

क्या कहने!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 26, 2022 at 9:42am

आ. भाई महेन्द्र जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Mahendra Kumar on October 26, 2022 at 8:04am

आदरणीय साथियो,

रास्ता मेरा है दुनिया से अलग
क्यों चलेगा मेरे पीछे कारवाँ

यह शेर भी इसी ग़ज़ल का हिस्सा है। चूँकि यह पहले फेसबुक पर प्रकाशित हो चुका था इसलिए इसे ग़ज़ल के साथ नहीं दिया।

Comment by Mahendra Kumar on October 26, 2022 at 7:46am

आदरणीय रवि भसीन जी, दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service