For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम रस का पान आओ फिर करें
सृष्टि का नव गान आओ फिर करें !
*
हम जले दावानलों से,
आँधियों से तुम बिखर।
आ गये  हैं  एक  जैसी,
भाग्य  की  बाँधी डगर।।
*
भूल कर  बीते  दुखों  के दर्द को
मोहिनी मुस्कान आओ फिर करें !
*
सोच मन पर क्या न बीती,
और  घायल  मन  न  कर।।
तय करें फिर साथ मिलकर,
जिन्दगी   का  यह  सफर।।
*
नव सृजन को पथ मिला साथी मिले
नीड़  का  निर्माण  आओ  फिर करें !
*
हम रहे साथी उपेक्षित,
लोक में  नित  खार से।
या मिली अवहेलना हो,
हर  डगर  हर  द्वार  से।।
*
द्वेष की रेखा मिटा मन से चलो
नेह का आह्वान आओ फिर करें!
*
रात सा दिन हो भले ही,
भोर  जैसी  आस  रख।।
बोलना मन से स्वयं के,
चुप अकेले मत बिलख।।
*
एक से बढ़ सौ हुए हम सून्य पा
लक्ष्य का संधान आओ फिर करें !
*
है मरण जीवन सदा से,
इस  जगत  में  राज ही।
राख से  उठना  हमें  यूँ,
है  स्वयं  की  आज  ही।।
*
प्रेम  ही  संजीवनी  हम  को  सुधा
पी इसे  अवदान  आओ फिर करें!

**
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 316

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 4, 2022 at 9:24am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थितिऔर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 4, 2022 at 9:22am

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गीत पर आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से असीम उत्साहवर्धन हुआ है। स्नेह के लिए हार्दिक आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 4, 2022 at 9:20am

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। आपको गीत पसन्द आया यह मेरे लिए सुखद अनुभूति है। स्नेह के लिए आभार।

Comment by Samar kabeer on September 23, 2022 at 7:46pm

जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी आदाब , बहुत सुंदर गीत रचना हुई है ,बधाई स्वीकार करें I 

Comment by Chetan Prakash on September 23, 2022 at 12:59pm

आदाब, आ. बहुत खूबसूरत गीत हुआ इस बार! अन्तरों में गीतिका छंद को  दो हिस्सों में विभक्त कर सुन्दर गीत की रचना हुई है, हार्दिक बधाई! 

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 23, 2022 at 11:05am

भूल कर बीते दुखों के दर्द को
मोहिनी मुस्कान आओ फिर करें !.......वाह !  खोयी ख़ुशी को फिर अपनी ओर आकृष्ट करने का प्रयास और सकारात्मकता से आगे बढने का आह्वान करता सुन्दर गीत रचा है आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service