हिन्दी दिवस पर कुछ दोहे :
हिन्दी अपने देश में, माँगे अपना मान ।
अंग्रेजी के ग्रहण से, धूमिल इसकी शान ।।
अंग्रेजी को देश में, इतना क्यों सम्मान ।
हिन्दी का अपमान तो, भारत का अपमान ।।
हिन्दी हिन्दुस्तान के, माथे का सरताज ।
हिन्दी तो है हिन्द के , जन-जन की आवाज ।।
हिन्दी से अच्छा नहीं, करना यूँ परहेज ।
अंग्रेजी के तेज को, हिन्द करे निस्तेज ।।
कण -कण में अब हिन्द के , हिन्दी गूँजे आज ।
नहीं चलेगा हिन्द में, अंग्रेजी का राज।।
सुशील सरना / 14-9-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, हिन्दी दिवस के अवसर पर शानदार दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
जनाब सुशील सरना जी आदाब, हिन्दी दिवस पर अच्छे दोहे रचे आपने, बधाई स्वीकार करें I
'हिन्दी हिन्दुस्तान के, माथे का सरताज ।
हिन्दी तो है हिन्द के , जन-जन की आवाज '-- इस दोहे की तुकांतता मेरे नज़दीक ठीक नहीं क्योंकि 'ताज' शब्दश में 'ज' के नीचे नुक़्ता नहीं है और 'आवाज़' शब्द में 'ज' के नीचे नुक़्ता है ,ग़ौर करें I
'हिन्दी से अच्छा नहीं, करना यूँ परहेज
अंग्रेजी के तेज को, हिन्द करे निस्तेज'--- इस दोहे की तुकांतता ठीक नहीं है क्योंकि 'परहेज़' शब्द में 'ज' के नीचे नुक़्ता है और 'निस्तेज' शब्द में 'ज' के नीचे नुक़्ता नहीं है I
आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। हिंदी दिवस के संदर्भ में बेहतरीन दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई स्वीकारें।
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