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रहीम काका - लघुकथा -

रहीम काका - लघुकथा - 

"गोविन्द, यार कहाँ है तू?  बस चलने वाली है।हम  बार बार बस वालों को निवेदन कर रुकवा रहे हैं। अब उन्होंने केवल दस मिनट का समय दिया है।

"मैं पांच मिनट में पहुंच रहा हूँ।" 

कालेज की तरफ़ से देहरादून  टूर पर दिल्ली के एक कालेज के दो बसों में छात्र और छात्रायें आये थे। आज अंतिम दिन था अतः घूमने  की छूट  मिली थी। 

सब लोग बसों में सामान लाद कर तैयार हो चुके थे। तभी गोविंद पांच मिनट का बोल कर आधे घंटे से गायब था। उसके दोस्त बार बार मोबाइल मिला रहे थे। कुछ साथी असमंजस में थे कि कहीं कोई लड़की का चक्कर तो नहीं है। 

उसी समय एक दोस्त चिल्लाया,"आ गया गोविंद।" 

सबकी निगाहें उधर ही उठ गईं। 

सबने गोविंद को घेर लिया," क्या मामला है गुरू? कहाँ गये थे?”

"कुछ नहीं भाई, काका के लिये कुछ गर्म कपड़े लेने थे।

"कौनसे काका? क्यों पागल बना रहा है।तेरे पिताजी का तो दूर तक कोई भाई नहीं है।" 

"तुम लोग नहीं जानते।गाँव के ही हैं। पापा उनको भाई मानते हैं।

"अबे हम भी तो उसी गाँव में रहते हैं। हमने तो नहीं सुनी ऐसी कोई बात।

"मैं रहीम काका की बात कर रहा हूँ। उनकी पिछली तीन पीढ़ियाँ हमारे खेतों में काम करती आ रहीं हैं। पापा उन्हें अपना भाई मानते हैं।

"अबे वह बूढ़ा मुल्ला तुम्हारा काका कब से हो गया है।वह तो तुम्हारा नौकर है।

"यार प्लीज, वे हमारे बुजुर्ग हैं,  उन्होंने मुझे गोद में खिलाया है।किसी की इज्जत नहीं कर सकते हो तो कोई बात नहीं लेकिन उनकी बेइज्जती तो मत करो।" 

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on December 10, 2021 at 5:10pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी।आदाब।

Comment by Samar kabeer on December 10, 2021 at 2:30pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, अच्छी लघुकथा लिखी आपने, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 5, 2021 at 6:44pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी।

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2021 at 3:36pm
वाह बहुत सुंदर और सार्थक लघुकथा हुई है । हार्दिक बधाई सर
Comment by TEJ VEER SINGH on December 5, 2021 at 12:05pm

हार्दिक आभार आदरणीय अमीरुददीन 'अमीर' साहब जी।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 4, 2021 at 6:35pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, अच्छी प्रेरणादायी लघुकथा हुई है, बधाई स्वीकार करें। सादर। 

Comment by TEJ VEER SINGH on December 4, 2021 at 4:20pm

हार्दिक आभार आदरणीय मुसाफ़िर जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 4, 2021 at 10:25am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। एक प्रणादायी लधुकथा के लिए हार्दिक बधाई।

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