For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

122 122 122 122

किसी और की अब जरूरत नहीं है
मगर तुम न कहना मुहब्बत नहीं है

हुई जब से शादी तो फुर्सत नहीं है
रहूंँ मायके में इज़ाज़त नहीं है

मैं मदहोश उनकी ही यादों में रहता
मुझे भूलने की तो आदत नहीं है

सरे आम होते यहां ज़ुर्म रहते
उसे रोकने की भी हिम्मत नहीं है

तुम्हें गर न देखें थमी सांस रहती
अगर मर गया भी तो हैरत नहीं है

फ़कत इश्क़ में अब दिखावा ही दिखता
नये शोहदों में इबादत नहीं है

नगर गाँव में देखा इतना ही अंतर
है कमसिन कली पर नज़ाकत नहीं है

मेरी माँ के खाने में जो स्वाद पाया
किसी और में वो ही लिज्ज़त नहीं है

गईं आसमां पर कई बेटियां ये
किसी की भी बेटी मुसीबत नहीं है

जला "दीप" दर पर तेरे मैं खड़ी हूँ
ख़ुदा मुझपे क्यूँ तेरी रहमत नहीं है

स्वरचित एवं अप्रकाशित

Views: 412

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 23, 2021 at 1:30pm

आ. दीपांजलि जी, अभिवादन। गजल का अच्छा प्रयास हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो के सुझाव का संज्ञान लेने से यह और निखर सकती है.

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on November 6, 2021 at 1:10pm

मुहतरमा दीपांजलि दुबे जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें।

समर कबीर साहिब की इस्लाह पर ग़ौर कीजियेगा। सादर।

Comment by Samar kabeer on November 4, 2021 at 6:46pm

मुहतरमा दीपांजली दुबे जी आदाब ,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है लेकिन ग़ज़ल अभी समय चाहती हे ,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I 

'किसी और की अब जरूरत नहीं है
मगर तुम न कहना मुहब्बत नहीं है'---मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है विचार करें I 

'मैं मदहोश उनकी ही यादों में रहता
मुझे भूलने की तो आदत नहीं है'---इस  शे`र का शिल्प मिहनत चाहता है I

'सरे आम होते यहां ज़ुर्म रहते
उसे रोकने की भी हिम्मत नहीं है '---इस शे`र के दोनों मिसरों में रब्त नहीं 'शिल्प भी कमज़ोर है I 

इसी तरह बाक़ी अशआर भी मिहनत चाहते हैं I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली अपने थीम के अनुरूप ही प्रस्तुत हुई है.  हार्दिक बधाई "
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली के लिए हार्दिक धन्यवाद.   यह अवश्य है कि…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी प्रस्तुति आज की एक अत्यंत विषम परिस्थिति को समक्ष ला रही है. प्रयास…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आवारा मदमस्त सी, नभ में उड़े पतंग ।बीच पतंगों के लगे, अद्भुत दम्भी जंग ।।  आदरणीय सुशील…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"दुःख और कातरता से विह्वल मनस की विवश दशा नम-शब्दों की रचना के होने कारण होती है. इसे सुन्दरता से…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढिया भावाभिव्यक्ति, आदरणीय. इस भाव को छांदसिक करें तो प्रस्तुति कहीं अधिक ग्राह्य हो जाएगी.…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"झूठ के विभिन्न आयामों को कथ्य में ढाल कर आपने एक सुंदर दोहावली प्रस्तुत की है, आदरणीय लक्ष्मण धामी…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service