For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2 2 1 1 2 2 1 1 2 2 1 1 2 2

आग़ाज़ मुहब्बत का वो हलचल भी नहीं है
आँखों में इज़ाज़त है तो हलचल भी नही हैं

क्या हिन्दू मुसलमाँ बना फिरता है, ज़माने
ऐसी तो खुदाया यहाँ हलचल भी नहीं है

आसान नहीं होता जहाँ  रोटी का कमाना
इस ओर तो तेरी कहीं हलचल भी नहीं है

क़मज़र्फ बने मत कि कमाना नहीं आता

औलाद ने उस ओर की हलचल भी नहीं है

है एक मुसीबत वो निभाने हैं, मरासिम
सुन वक़्त बचा क़म है वो हलचल भी नहीं है

आवाज़ लगाऊँ तो कोई भी नहीं आता
वो कान जो सुनता है तो हलचल भी नहीं है

अब वक़्त बदलना तो वो आसान रहा कब
है चक्र समय का वो सो हलचल भी नहीं है

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 411

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 5, 2020 at 7:36am

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन । गजल का प्रयास अच्छा हुआ है । शेष आ. समर जी कह ही चुके हैं । हार्दिक बधाई ।

Comment by Chetan Prakash on December 4, 2020 at 9:11pm

आदाब, आदरणीय, आप सही कह रहै है अवकाश मिलते ही आपके संकेतानुसार पुनः सही स्वरूप में ग़ज़ल

 पोस्ट करूँगा ।

Comment by Samar kabeer on December 4, 2020 at 7:57pm

'हलचल भी नहीं है' तो रदीफ़ है, क़वाफ़ी मतले में 'वो' और 'तो' हैं, बाक़ी अशआर बिना क़ाफ़िये के हैं, ग़ौर करें ।

Comment by Chetan Prakash on December 4, 2020 at 7:14pm

आदाब आदरणीय, समर कबीर साहब ,  उक्त ग़ज़ल के मतले के दोनों मिसरों में चूँकि एक ही काफिया ( हलचल ) है, अतः उसे अंत तक निभाने प्रयास मैंने किया है। साभार

  

Comment by Samar kabeer on December 4, 2020 at 5:20pm

जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, क़ाफ़िये क्या हैं इस ग़ज़ल के?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"* जिद्द *मेरी उम्र के अनुसार मेरे अनुभव जो मैंने अपनी वयानुसार देखे समझे व् व्यतीत किये अधिकाधिक १०…"
2 hours ago
Dr. Geeta Chaudhary commented on Dr. Geeta Chaudhary's blog post कविता: "एक वज़ह"
"आभार सर आपका..."
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on नाथ सोनांचली's blog post ग़ज़ल (गर आपकी ज़ुबान हो तलवार की तरह)
"क्या ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय सोनांचली जी..."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"वाह वाह आदरणीय मनोज जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही..."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पतझड़ से मत घबराना मन (गीत- २१)- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत ही खूबसूरत गीत है आदरणीय धामी जी...सादर"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Chetan Prakash's blog post गज़ल ः
"आदरणीय चेतन जी अच्छा प्रयास है...आदरणीय धामी जी से सहमत हूँ..."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Dr. Geeta Chaudhary's blog post कविता: "एक वज़ह"
"अच्छी प्रवाहमयी कविता के लिए बधाई आदरणीया..."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Rachna Bhatia's blog post आलेख - माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी
"इस भावपूर्ण लेख के लिए अनंत आभार आदरणीया..."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Rachna Bhatia's blog post ग़ज़ल - मेरे घर आज आ रहा है कोई
"आदरणीया रचना जी अच्छी ग़ज़ल हुई...बधाई"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"वाह आदरणीय धामी जी क्या ही रंग बिरंगा गीत रचा है..."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Er. Ganesh Jee "Bagi"'s blog post लघुकथा : पीठ का दाग (गणेश बाग़ी)
"बहुत बढ़िया आईना दिखाती घुकथा है आदरणीय..."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- नहीं जो था होना वो सब हो रहा है
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय नीलेश जी..."
6 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service