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बापू की लाठी से ....

 
बापू की लाठी से ....
 
हार गई दम्भी बन्दूक
बापू की लाठी से
 
जीत गई
बापू की अहिंसा
हिंसा से
स्वर निकले प्रीत की
बापू की लाठी से
 
मिल गई मुक्ति
देश को
गुलामी की
बेड़ियों से
मिला स्वराज देश को
बापू की लाठी से
 
जीत लिया दिल
चला के चरखा
बापू ने हर जन-मन का
बिना लड़े ही हारी हिंसा
बापू की लाठी से
 
जय हिन्द का गूँजा नारा
बना विश्व का भारत प्यारा
हिंसा हारी हिंसक हारा
बिना हिंसा के दुश्मन मारा
हिंसक दुश्मन आखिर भागा
बापू की लाठी से
 
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Sushil Sarna on October 3, 2020 at 8:23pm

आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 3, 2020 at 7:13am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन । सुन्दर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Sushil Sarna on October 2, 2020 at 8:36pm
आदरणीय अमीरुद्दीन जी, आदाब, सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार
Comment by Sushil Sarna on October 2, 2020 at 8:35pm
आदरणीय शेख साहब, आदाब, सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 2, 2020 at 6:04pm

आदाब। बेहतरीन सृजन आदरणीय।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 2, 2020 at 4:36pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, गाँधी जयन्ती पर अच्छी सृजना हुई है बधाई स्वीकार करें। सादर। 

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