For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत...धीरे धीरे आओ चन्दा (सार छंद 16,12 पर आधारित गीत)

धीरे धीरे आओ चन्दा
धीरे धीरे आओ

होंठों पर मुस्कान सजाये
सोया है मृग छौना
आहट से तेरी टूटेगा
उसका ख्वाब सलोना
बात समझ भी जाओ चन्दा
धीरे धीरे आओ

तुम चलते हो पीछे पीछे
चलते हैं सब तारे
और तुम्हारी सुंदरता पर
इठलाते हैं सारे
तुम तो मत इतराओ चन्दा
धीरे धीरे आओ

ऐसे भी कुछ घर आँगन हैं
बसते जहाँ अँधेरे
भूख वहाँ करताल बजाये
संध्या और सबेरे
उस दर भी मुस्काओ चन्दा
धीरे धीरे आओ
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 789

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 10, 2018 at 4:16pm

स्वागत संग आभार आदरणीया रक्षिता जी...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 10, 2018 at 4:15pm

तहेदिल से शुक्रिया आदरणीय आरिफ जी..

Comment by Satyanarayan Singh on June 9, 2018 at 9:15pm

ऐसे भी कुछ घर आँगन हैं 
बसते जहाँ अँधेरे 
भूख वहाँ करताल बजाये 
संध्या और सबेरे 
उस दर भी मुस्काओ चन्दा
धीरे धीरे आओ

 बहुत ही सुन्दर गीत आदरणीय हार्दिक बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 9, 2018 at 8:39pm

आ. भाई बृजेश जी, इस भावप्रवण रचना के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई ।

Comment by रक्षिता सिंह on June 9, 2018 at 7:37pm

आदरणीय वृजेश जी नमस्कार,

बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ ...एक लोरी की तरह !

हार्दिक बधाई  स्वीकार करें।

Comment by Mohammed Arif on June 9, 2018 at 6:57pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब,

                             बहुत ही सुंदर गीत की पेशकश । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 9, 2018 at 3:01pm

आपका हार्दिक अभिनदंन है आदरणीय महेंद्र जी..सादर

Comment by Mahendra Kumar on June 9, 2018 at 10:10am

बढ़िया गीत है आदरणीय बृजेश जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service