For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr.Ajay Khare's Blog – December 2012 Archive (21)

नूतन बर्ष

       नूतन बर्ष

आओ करें अमृत मंथन

जीवन के संघर्ष मे

दिल मे कुछ संकल्प ले

इस नूतन वर्ष में

सोचें सदा वतन हित में

देशभक्ति हो मन चित में

 परस्पर सदभाव हो

विकाश से लगाव हो

देश को खुशहाल बनाएँ

भ्रष्टाचार दूर भगाएँ

 खुशियों से भरा हो दामन

फिंजा देश की हो मनभावन

प्रगतिशील बढ़ चले कारवाँ

निकृष्ट से उत्कर्ष में

कल्याणकारी बयार बहे

इस नूतन बर्ष   में

 Dr.Ajay Khare Aahat

 

Added by Dr.Ajay Khare on December 28, 2012 at 12:29pm — 4 Comments

फुसलाने निकले

फुसलाने निकले

हम जिनको समझाने निकले
वो हमसे भी सयाने निकले

अनजाना समझा था जिनको
सब जाने पहचाने निकले

चेहरों पर लेकर खुशी
दर्द को छिपाने निकले

जिनको हमदम मान लिया था
दुश्मन वही पुराने निकले

जब पीने की दिल मे ठानी
बंद सभी मयखाने निकले

स्वांग ग़रीबी का करते थे
उनके घर तहख़ाने निकले

अब चुनाव जब सर पे आया
तो लोंगो को फुसलाने निकले

Dr. Ajay Khare Aahat

Added by Dr.Ajay Khare on December 24, 2012 at 12:00pm — 11 Comments

सब बिकाऊ हे

सब बिकाऊ हे





बाज़ार में आज सब बिक रहा है 

होता हे कुछ और कुछ दिख रहा है

दाम हो तो बोली लगाओ चाँद की

आसमान भी शर्म से अब झुक रहा है

बाज़ार में आज--------------



ईमान बिक रहा हे जमीर बिक रहा है

मजहव के नाम पर दाँव फिक रहा है

सम्मान की तो सरेआम होती नीलामी

सदभाव बहा देती सम्प्रदायिकता की सुनामी

बाजारू दलाल फलफूल रहा है

बाज़ार में आज-----------



बदन बिक रहा हे सदन बिक रहा है

लोकतंत्र की नई परिभाषा लिख रहा…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 19, 2012 at 12:00pm — 2 Comments

बदलती दुनियां

      बदलती दुनियां

    आज कितनी बदल रही दुनियां  

    गिर के संभल रही  दुनियां  

    अपनों से दिल की  दूरियां बनाकर

    गेरो के संग बहल रही  दुनियां

    चुराकर अपनी ऑखो से हकीकत

    भरम के साथ पल रही दुनियां  

   प्यार की राहों से मुह मोड़कर  

   साथ नफरत के चल रही दुनिया

   जलाकर झूठी आशाओं  के चिराग

  रौशनी को मचल रही दुनियां  

  

           डॉ अजय आहत

Added by Dr.Ajay Khare on December 18, 2012 at 12:45pm — 2 Comments

पड़ोसी

पड़ोसी



वर्मा, हो शर्मा, हो सिंह, हो या जोशी

किस्मत से मिलते हे, सज्जन पड़ोसी

पड़ोसी भले हो, ये किस्मत का खेल

नहीं तो घर भी, लगता हे जेल

पड़ोसी से न करें कोई शरम

कुछ ऐसे निभाएं पड़ोसी धरम

पडोसी की सब्र से करें समीक्षा 

समय समय पर लेते रहे. अग्नि परीक्षा 

पड़ोसी के घर के सामने पार्क करे गाड़ी

बक्त बेबक्त उसे करते रहे काडी

समय असमय उसकी घंटी बजाएं

ऊलजलूल बातों से उसे पकाएं

देर रात संगीत से…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 2:00pm — 7 Comments

में दरिया हूँ

में  दरिया हूँ

प्यार हर दिल के अंदर  ढूढता हूँ

नहीं कोई मेरा अपना ठिकाना

मगर घर सबको सुन्दर  ढूढता हूँ

टूट जाते हे जब सपने महल के

पिटे खुआबो में खंडहर  ढूढता हूँ

भरा दहशत अंदेशो से जमाना

में चेनो अमन के मंजर  ढूढता हूँ

नहीं आंधी तूफानों का भरोसा

हरेक कश्ती को लंगर  ढूढता…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 1:41pm — 4 Comments

अथिति देबोभवा

अथिति देबोभवा

पहले की सोच

अथिति होता था भगवान्

घर में होती थी खुशियाँ

और बनते थे पकबान

बदला अब परिवेश और…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 1:30pm — 4 Comments

इजहारे मुहब्बत

इजहारे मुहब्बत

प्यार करना पहिले हिम्मत का काम था

दर्दे दिल लेना मुहब्बत का नाम था

बर्षो करते थे केवल दीदार

हो नहीं पता था प्यार का इजहार

जब चारो और फ़ैल जाती थी, प्यार की खुशबु…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 1:30pm — 4 Comments

बदलते रिश्ते

बदलते रिश्ते



बचपन की मेरी मेहबूबा

मिली मुझे बाजार में

मियां और बच्चों के संग

बैठी थी बो कार में

नजरे चार हुई तो बो

होले से मुस्कुरा पड़ी

उतर कार से झट फुर्ती से

सम्मुख मेरे आन खड़ी

स्पंदित हुआ तन बदन मेरा

पहले सा अहसास हुआ

सामने थी मेरे बो बाजी

हारा जिससे मुहब्बत का जुआ

किम्कर्ताब्यविमूढ़ खड़ा था में

ध्यान मेरा उसने खीचा

आओ मिलो शौहर से मेरे

आपके हे ये जीजा

दिल में मेरे मचा हुआ था

कोलाहल…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 1:30pm — 2 Comments

एक्सचेंज मेला

एक्सचेंज मेला

                                                          दीपावली में खरीददारी की मची हुई थी जंग

खरीददारी करने गए हम बीबी के संग

बदला पुराना टीबी नया टीबी ले आये

दिल में कई बिचार आये

काश बीबी एक्सचेंज का कोई ऑफर पायें

नई नबेली…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 14, 2012 at 12:00pm — 10 Comments

खुदगर्जी

खुदगर्जी



मेरा जन्म, हर्सौल्लास, जलसा

मां बाबू जी मुराद पूरी, खुशियाँ, चर्मोत्कर्ष

लालन पालन, उत्कर्ष

हर ख़ुशी, मुहैया

हट पूरी ,हर हाल में

मां कई रातें जागी, में सोया

मां सोते से जागी, में रोया

बाबू जी नई स्फूर्ति, उत्साह से ओतप्रोत

में प्रेरणास्रोत

सने सने मेरी बढती काया, बुद्धि,सोच…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 13, 2012 at 1:00pm — No Comments

कवि का आक्रोश

कवि का आक्रोश



में भी आप सभी सा हूँ

बस थोडा सा बीसा हूँ

बाहर से में फौलादी हूँ

अंदर से में शीशा हूँ

ह्रदय से में कवि सा हूँ

जन्म हुआ तभी से हूँ

बहर से जुगनू लगता हूँ

अंदर से रवि सा हूँ

मेरी कविताओं में वो दम है 

जो लोहे को पिघला देंगी

मेरी जोशीली रचनाएँ

मुर्दे को जिला देगीं

कविता पाठ से में

धरती को हिला दूंगा

अपने मार्मिक छंदों से,

कुम्भकर्ण को जगा दूंगा

रोक…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 12, 2012 at 4:00pm — 3 Comments

वृक्षारोपण

वृक्षारोपण

करते हे कद ऊँचा ,बढ़ाते हे शान
गड्ढे में डालते हे ,एक नन्ही जान
खिचती हे फोटो ,तो हाथ जोड़ लेते हे
नन्ही सी जान से ,फिर मुह मोड़ लेते हे
बटते हे समोसे, व् बटती हे चाय
पौधा खा जाती हे, बकरी या गाय
काश पोधे को संवारा होता
तो ऐसा ना, नजारा होता

Dr.Ajay Khare Aahat


Added by Dr.Ajay Khare on December 12, 2012 at 12:00pm — No Comments

कविता रिमिक्स

कविता रिमिक्स



कविता जन्म लेती हे कवि की सोच से

कवि दवा रहता घरेलू कामों के बोझ से

जब कभी कवि की सोच व् बीबी के आदेश हो जाते मिक्स

बनती हे कविता रीमिक्स

उठो नोजवानो देश को बचाना हे

खोई शौहरत को फिर बापिस लाना हे

बंद करो कविता लिखना क्या ऑफिस नहीं जाना हे

तीन दिनों से नहीं नहाया क्या आज भी नहीं नहाना हे

तुम जाग गए तो देश जाग जायेगा

दूथ जाकर लेलो नहीं तो दूधबाला भाग जायेगा

हम देशवासियों की तुमको आशीष

पापा…
Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 4:00pm — 1 Comment

रावण संबाद

रावण संबाद



रावण दहन हेतु जेसे ही नेता जी आगे बढे

दशानन बोल पड़े मुझे

मुझे जलाने के लिए क्या उपयुक्त हे

क्या आप बुराई से पूरी तरह मुक्त हे

फिर क्यों कर रहे हे मुझे अग्नि के हबाले

जबकि आपने किये हे कई घपले घोटाले

आपके कारनामे संगीन हे

आप पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लीन हे

राम बनकर हमारी नीतियों पर छलते हे

सफेदपोश बनकर देश को छलते हे

अतः रावण कौन हे पहले हो संज्ञान

फिर कराएँ मुझे अग्नि स्नान

में बुराई का…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 2:00pm — 7 Comments

चमन देखा हे

चमन देखा हे

हमने दुनिया का चमन देखा हे
मुश्किल में अपना बतन देखा

बक्त की मार से हो के तबाह
इन्सान को नगे बदन देखा हे

मतलबी यारी निभाने को
दोस्त दुशमन का मिलन देखा हे

देश की सम्पदा मिटाने को
चोरी से होते खनन देखा हे

हर हुनर से यूँ धन कमाने को
लोगो को करते जतन देखा हे

औरो के लिए मोम सा पिघलते
जीवन को हबन करते देखा हे

सही गलत का भेद मिटाते.
हमने पेसो का बजन देखा हे

डॉ अजय आहत

Added by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 1:00pm — 5 Comments

मेकअप

मेकअप



शादी के बाद दूल्हे ने दुल्हन का किया दीदार

उसके दिल पर हुआ प्रहार

अरमान तार, तार

लड़की बदल दी, किया प्रचार

दिखाई कुछ और, टिकाई कुछ और

मेरी खुशियों का अंत

केटरीना दिखाकर दे दी राखी सावंत 

इतना बड़ा छल, इतना बड़ा धोखा

.लड़की का बाप.बेटा लड़की वही हे, तुमने उसे मेकअप में देखा

धोखा नहीं तुम्हारे बाप को दिए दो खोखा

अव दिल की नज़रों से उसे निहारे

हंसी ख़ुशी से अपना जीवन संवारें 

बेटा मेकअप…
Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 11:30am — 9 Comments

आप दूध के धुले है

आप दूध के धुले है



आम सभा में बक्ता बोल रहा था

.भ्रष्टाचार की परते खोल रहा था .

प्रजातंत्र पर कर रहा था तीखे प्रहार

आक्रोश दिखा रहा था बारम्बार

.नेताओ पर जहर उगल रहा था

समीप खड़े नेता को खल रहा था

बार बार लगा रहा था एक ही अलाप

.नेता जी का सब्र दे गया जबाब .

चढ़ मंच पर बक्ता का थामा गिरेबान

क्यों कर रहा है तू .हमारा अपमान

बक्ता ने अक्ल लगाई

.नेता जी से जान बचाई

.बोला मेरा आशय .भ्रष्ट लोगो से…
Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 11:30am — 10 Comments

पत्नी चालीसा

पत्नी चालीसा

जय जय जय पत्नी महरानी

महिमा आपकी किसी ने न जानी

जबसे घर में व्याह के आई

मची हुई हे खीचातानी

जय जय जय पत्नी महरानी

सास ससुर भये भयभीत

देवर ननद से जुडी न प्रीत

घर की बन बैठी तुम आका

फहरा दी हे विजय पताका

भोली भली दिखती थी आप…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 10, 2012 at 4:30pm — 7 Comments

ब्यूटी

ब्यूटी

मेरे आफिस में आई एक ब्यूटी

देख कर उसको, में भूल गया ड्यूटी

मुस्कुरा के किया उसने ,निबेदन

नोकरी के लिए सर, किया था आवेदन

पास किया हे सर, मेने शीघ्र लेखन…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on December 10, 2012 at 4:30pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
7 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
14 hours ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
14 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
14 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service