For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sarita Bhatia's Blog – January 2014 Archive (10)

जब जब तुम्हे सोचती हूँ

जब जब तुम्हें सोचती हूँ

मेरे ख्वाब खिल उठते हैं

सोचती हूँ रंग बिरंगी दुनिया

अपना सजीव होना|

जब जब तुमसे मिलती हूँ

बागों में फूलों का

बेमौसम खिलना होता है

पक्षी चहचहाने लगते हैं

नदिया में सागर में

जीवन बहने लगता है

तब सब से मिलती हूँ

उल्लास से|

जब जब तुमसे मिलती हूँ

जिन्दगी छलकती है

मेरी आँखों से

मेरे हाथ महकते हैं

मेंहदी के रंग से

तब मिलती हूँ जिन्दगी से

तब मैं मिलती हूँ

अपने आप…

Continue

Added by Sarita Bhatia on January 31, 2014 at 5:04pm — 17 Comments

यह दिल

दिल बड़ी अजीब शय है


खुश हो तो
बहकता है
चहकता है
महकता है
उछलता है
मचलता है


टूटता है तो


हो जाता बेदर्द
देता इंतहा दर्द
कर देता सर्द
खो जाता चैन
कर देता बेचैन
हर दिन हर रैन
.......................

मौलिक व् अप्रकाशित 

Added by Sarita Bhatia on January 30, 2014 at 6:02pm — 15 Comments

अँधेरे रास हैं आए वफ़ा तुझसे निभाने में [गजल]

बड़ी मुश्किल से कुछ 'अपने' मिले हमको ज़माने में

कहीं उनको न खो दूँ ख्वाहिशें अपनी जुटाने में /



बने जो नाम के अपने हैं उनसे दूरियाँ अच्छी

मिलेगा क्या भला नजदीकियां उनसे बढ़ाने में/



उजाले छोड़े हैं तेरे लिए रहना सदा रोशन

अँधेरे रास हैं आए वफ़ा तुझसे निभाने में /



हसीं यादों ने छोड़े हैं सफ़र में ऐसे कुछ लम्हे

रँगें हैं हाथ अपने अब निशाँ उनके मिटाने में /



दिलों को तोड़ते हैं जो विदा कर यार को ऐसे

जो थामे धडकनें तेरी न डर…

Continue

Added by Sarita Bhatia on January 24, 2014 at 3:30pm — 9 Comments

उसका वो पागलपन

याद है मुझे

उसका वो पागलपन

लिखता मेरे लिए प्रेम कवितायेँ

जिनमें होते मेरे लिए कई प्रेम सवाल

उसमें ही छुपी होती उसकी बेपनाह ख़ुशी

क्योंकि जानता न था वो मेरे जवाब

वो उसकी आजाद दुनिया थी

जिसमें नहीं था किसी का दखल

उसके दिल के दरवाजे पर खड़ी रहती मैं

उस पार से उससे बतियाती

उसका पा न सकना मुझे

मेरा खिलखिला कर हँसना

और टाल देना उसका प्रेम अनुरोध

देता उसको दर्द असहनीय

जैसा आसमान में कोई तारा टूटता

और अन्दर टूट जाते उसके ख़्वाब…

Continue

Added by Sarita Bhatia on January 23, 2014 at 6:11pm — 4 Comments

गजल [सरिता भाटिया]

दिलों को जो सुहाते हैं /
दिलों पे जाँ लुटाते हैं /

निगाहों से क़त्ल करके
मुझे कातिल बनाते हैं /

दिलों के हैं अजब रिश्ते
सदा अपने निभाते हैं /

यूँ पल पल मर रही हूँ मैं
मुझे जिन्दा बताते हैं /

सभी अपने तुम्हारे बिन
मुझे जीना सिखाते हैं /

सुना है ऐसे में अपने
भी दामन छोड़ जाते हैं /

.....................................

..मौलिक व् अप्रकाशित....

Added by Sarita Bhatia on January 20, 2014 at 5:30pm — 20 Comments

किनारा इस सरिता का

तू बहादुर बेटी है पंजाब की

तू शान आन और बान है हमारे घर की

तू झाँसी की रानी है

तुझे क्या डर अकेले

दुनिया के किसी भी कोने में जा सकती हो

हाँ

ऐसे ही तो कहते थे ना हमेशा

जब कहती थी

मेरे साथ कहीं चलने को

आज समझा रहे थे मुझे

पगली क्यों रोती है ?

तेरे अंग संग हूँ हमेशा

तेरे साथ अपनी दोनों भुजाएं

अपने दो बेटे छोड़ आया हूँ

तुम्हे जरुरत नहीं

किसी का मुँह ताकने की

दोस्त जो नहीं पूछते मत कर चिंता

जो साथ हैं उनका कर…

Continue

Added by Sarita Bhatia on January 16, 2014 at 10:01am — 10 Comments

कभी सोचा न था ..

कभी सोचा न था ...

कितनी कलरफुल थी

मेरी दुनिया

अब तुम्हारे बाद

ब्लैक एंड वाइट होकर रह जाएगी

कभी सोचा न था ...

अलमारी में पड़े

लाल गुलाबी कपड़े

मुंह चिड़ाएंगे और पूछेंगे

मुझसे कई सवाल

कभी सोचा न था ..

आइने के सामने आज

खड़े होने में डर लगेगा

क्योंकि

खो दूंगी वो अक्स

जो मुझे निहारा करता था

कभी सोचा न था ...

बड़ी बेपरवाह थी जिन्दगी

बस तुम्हे बताकर

दुनिया की परवाह किये बिना

स्वछन्द घूमा करती थी

अब घर…

Continue

Added by Sarita Bhatia on January 9, 2014 at 2:37pm — 13 Comments

यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया [सरिता भाटिया]

जाने वाला साल सब सुख चैन ले गया

नयनों में है नीर दिल में दर्द दे गया /



क्या मनाएं साल उस बिन अब लगे न दिल

एक झटके में सभी अरमान ले गया /



मुस्कराएँ हम क्या तेरे बिन ओ साथी अब

खुशिओ का तू सारा ही सामान ले गया /



उसकी हर आहट का होता है मुझे गुमाँ

खुद को समझायें क्या वो संसार से गया /



याद आती उसकी है अब रात रात भर

यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया /



काटना है अब अकेले उस बिना सफ़र

जिन्दगी भर का गमे…

Continue

Added by Sarita Bhatia on January 7, 2014 at 10:00am — 17 Comments

कभी जीवन में अपने कुछ दुखद से पल भी आते हैं

1 2 2 2   1 2 2 2   1 2 2 2   1 2 2 2



कभी जीवन में अपने कुछ दुखद से पल भी आते हैं

सभी अपने हमेशा के लिए तब छोड़ जाते हैं /



समय अपना बुरा आया,तमस भी साथ ले आया 

करीबी जो रहे अपने वही नजरें चुराते हैं /



किसे फुर्सत हमें देखे हमारा हाल वो जानें 

हमें रुसवाइओं में तन्हा अक्सर छोड़ जाते हैं /



मिले ढूंढे नहीं कोई सहारा बन सके जो तब

मुसीबत में कहाँ अब लोग यूँ रिश्ते निभाते हैं /



भला कर तू भला होगा बुरा मत सोचना मन…

Continue

Added by Sarita Bhatia on January 5, 2014 at 8:30pm — 20 Comments

तरही गजल

जब से उनका यहाँ आना जाना हुआ

दिल हमारा भी उनका दिवाना हुआ /



साथ तेरे का जो छूट जाना हुआ

तब से सबका यहाँ आना जाना हुआ /



माँग तेरी भरूं आ सितारों से मैं

ऐसा कह जो गया फिर न आना हुआ /



माँग सूनी हुई जो सितारों भरी

माथे की बिंदी छिनना बहाना हुआ /



राहतें अब कहाँ चैन दिल को कहाँ

मत कुरेदो जख्म ये पुराना हुआ /



याद आती रही रात भर थी मुझे

भूल वो अब गया इक जमाना हुआ /



उसके आने की टूटी है…

Continue

Added by Sarita Bhatia on January 2, 2014 at 7:30pm — 20 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
8 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
9 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
10 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
11 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
12 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
14 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
24 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Prem Chand Gupta जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। कृपया नुक़्तों का विशेष ध्यान रखें…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"कू-ब-कू है ख़बर, हुआ क्या हैपर ये अख़बार ने लिखा क्या है । 1 जो परिंदे क़फ़स में जीते हैंउनको मालूम है…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service