For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी सोचा न था ...
कितनी कलरफुल थी
मेरी दुनिया
अब तुम्हारे बाद
ब्लैक एंड वाइट होकर रह जाएगी
कभी सोचा न था ...
अलमारी में पड़े
लाल गुलाबी कपड़े
मुंह चिड़ाएंगे और पूछेंगे
मुझसे कई सवाल
कभी सोचा न था ..
आइने के सामने आज
खड़े होने में डर लगेगा

क्योंकि
खो दूंगी वो अक्स
जो मुझे निहारा करता था
कभी सोचा न था ...
बड़ी बेपरवाह थी जिन्दगी
बस तुम्हे बताकर
दुनिया की परवाह किये बिना
स्वछन्द घूमा करती थी
अब घर से बाहर कदम रखने से पहले
मेरा ही ज़मीर मुझसे सवाल पूछेगा
कभी सोचा न था.....
मैं भी एक दिन
रंगीन उड़ती तितली की तरह
अपने पर खो दूंगीं

कटी पतंग सी हो जाऊँगी
कभी सोचा न था .....
फैसले तो पहले भी
खुद लिया करती थी
पर उन पर
मोहर लगाने वाला ही नहीं रहेगा
कभी सोचा न था...
कभी कोई फॉर्म भरते हुए
मेरी कलम
विवाहिता के कालम पर
अटक जाएगी
कभी सोचा न था .....

.................................

 मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 558

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 17, 2014 at 11:05pm

कुछ भी कहाँ रुकता कभी ?!!..

Comment by Sarita Bhatia on January 17, 2014 at 9:39pm

आदरणीय सौरभ sir पता नहीं कब दर्द कलम के रास्ते शब्दों में बिखर गया ,आइन्दा कोशिश करुँगी 

जब जब ऐसी रचनाएँ दोबारा पढ़ती हूँ तो मेरा भी दर्द आँसू बन बह जाता है आप सबकी हौंसला अफसाई से मन जरा हल्का हो जाता है | 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 11:14pm

निश्शब्द हूँ, आदरणीया.

कई-कई बिम्ब लगातार नये होते गये हैं अपने नये-नये मिले अर्थों के साथ. और....  अंत तक आते-आते हूक सी उठती है और आँखें बेसाख़्ता सजल हो गयीं.

भौतिक बहाव ही नहीं नदी की अंतरधारा भी बहुत कुछ कहती है. उसके साथ बहते जाना उर्ध्व गति के साथ त्वरण में आने का कारण हुआ करता है.

आगे लिखते रहिये.. खूब-खूब-खूब लिखिये.  मगर, प्लीज, ऐसे मत लिखियेगा.

.........

.........

.........

Comment by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 9:36pm

बहुत मार्मिक  आदरणीया सरिता जी। । हार्दिक बधाई आपको 

Comment by नादिर ख़ान on January 10, 2014 at 9:34pm

दर्द बोलेगा और हम

बधाई देंगे

कभी सोचा न था 

आदरणीया सरिता जी, दिल को भेदती अभिव्यक्ति ......

Comment by Sarita Bhatia on January 10, 2014 at 2:16pm

सभी का हार्दिक आभार 

मेरी दिली आवाज आपके दिल तक पहुँची


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on January 10, 2014 at 9:21am

मन का मर्म उतर आया है, उफ्फ..............................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 10, 2014 at 7:55am

आदरणीया सरिता जी , एक एक शब्द आँसुओं को  सोखे हुये लग रहे हैं , बहुत मर्मस्पर्शी रचना है , दिल से कही बात सीधे दिल तक पहुंच रही है ॥ आपको अनेकों बधाइयाँ ॥

Comment by coontee mukerji on January 10, 2014 at 1:47am

बहुत मर्मस्पर्शी  रचना सरीता जी.....दिल छू गया. शुभकामनाएँ

Comment by कल्पना रामानी on January 9, 2014 at 10:27pm

कभी सोचा न था...
कभी कोई फॉर्म भरते हुए

मेरी कलम
विवाहिता के कालम पर
अटक जाएगी
कभी सोचा न था .....

बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति,  सरिता जी मन को छू गई आपकी कविता। दिल से बधाई आपको

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service