For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anwar suhail's Blog (70)

शक करने का काम

शक करने का काम

 

वो शक करता है

हर मिलने-जुलने वालों पर

और अपने गुर्गों द्वारा

करता रहता पड़ताल

कहीं कोई भेदिया तो

बदल कर भेस 

घुस आया हो

उसके आभा-मंडल में....

 

वो शक करता है

अपने दरबारी, सिपहसालारों पर

चमचों-चाटुकारों पर

इसीलिये कुछ को देता रहता है सज़ाएँ

कुछ को पुरस्कार

कुछ का तिरस्कार....

 

वो शक करता…

Continue

Added by anwar suhail on April 24, 2013 at 10:04pm — 8 Comments

बेशक उसका जन्म हुआ है

बेशक उसका जन्म हुआ है

मंदिर में स्थापित देवताओं को

दूर से प्रणाम करने…

Continue

Added by anwar suhail on April 13, 2013 at 8:40pm — 12 Comments

ऐसे लोगों का जीना क्या.....

इत्ते सारे लोग यहाँ हैं

इत्ती सारी बातें हैं

इत्ते सारे हंसी-ठहाके

इत्ती सारी घातें हैं...



बहुतों के दिल चोर छुपे हैं

सांप कई हैं अस्तीनों में

दांत कई है तेज-नुकीले

बड़े-बड़े नाखून हैं इनके

अक्सर ऐसे लोग अकारन

आपस में ही, इक-दूजे को

गरियाते हैं..लतियाते हैं



इनके बीच हमें रहना है

इनकी बात हमें सुनना है

और इन्हीं से बच रहना है...



जो थोड़ें हैं सीधे-सादे

गुप-चुप, गम-सुम

तन्हा-तन्हा से जीते हैं…

Continue

Added by anwar suhail on April 9, 2013 at 8:44pm — 6 Comments

मांगना

किसी से

कुछ भी माँगना

मुझे लगता है

बहुत बुरा...



कुछ भी मांगने से पहले

करना पड़ता है अभ्यास

कैसे हुआ जाएगा प्रस्तुत

देने वाले के सामने

समय कौन सा उचित हो

जब दाता का मूड ठीक हो

किस अंदाज़ में माँगा जाए

भाषा कैसी हो

कि पिघल जाए दाता...



मांगने का अर्थ है

कि गिरवी रख दिया जाए

अपना समूचा अस्तित्व

साथ ही मन में

रहा आये संशय

कि मांगने पर भी

कुछ न मिले तब....?



बड़ी शर्मिंदगी भर देता… Continue

Added by anwar suhail on March 29, 2013 at 8:59pm — 13 Comments

नरकवासी

हमने चुना

अपने लिए

एक नर्क

या धकेल दिया था तुमने

हमें नर्क में...

कोई फर्क नहीं पड़ता...

 

नर्क

भले ही जैसा था

हमने उसमें बसने का

बना लिया मन

और ठुकरा दिया

तुम्हारे स्वर्ग को

उन लुभावने सपनो को

जिसे दिखलाते रहे तुम

और तुम्हारे दलाल…

Continue

Added by anwar suhail on March 27, 2013 at 7:52pm — 4 Comments

कैसे चले जांगर

थका तन

थका मन

कैसे चले जांगर

क्या जा पाएंगे घर ?

 

हुक्म देने वाले 

ठाने बैठे हैं जिद

एक काम होता नही खत्म

कि दूजे का हुक्म मिल जाता..

 

पंछी भी लौट आते

घर अपने

नियत समय पर

लेकिन हम पंछी नहीं

 

सूरज भी छिप जाता

क्षितिज पार

नियत समय पर

लेकिन हम सूरज नही

 

तो क्या हम समंदर की लहरें हैं

जो दिन-रात अनथक

आ-आकर टकराती रहतीं किनारों पर

और…

Continue

Added by anwar suhail on March 16, 2013 at 9:00pm — No Comments

टूथ-पेस्ट की ट्यूब

टूथ-पेस्ट की ट्यूब

 

और एक दिन ऐसा भी आता है

खूब खूब दबाने से निकलता

चने के दाने बराबर

इत्ता सा टूथ-पेस्ट...

कि बने झाग थोडा सा

मुंह की बदबू दूर हो जाए

मुहलत मिले इतनी कि

शाम खदान से लौटते वक्त

ज़रूर खरीद लाना है

एक नया टूथ-पेस्ट...

 

अगली सुबह

हड़बड़ी में

वाश बेसिन के सामने

ब्रुश उठाते ही हाथ में

दिख जाता वही

पिचका

चिपटा

तुडा-मुडा टूथपेस्ट

मुंह…

Continue

Added by anwar suhail on March 13, 2013 at 9:31pm — 4 Comments

समीक्षा उपन्यास पहचान

समीक्षा: उपन्यास ‘पहचान’

जद्दोजहद पहचान पाने की

-जाहिद खान

किसी भी समाज को गर अच्छी तरह से जानना-पहचाना है, तो साहित्य एक बड़ा माध्यम हो सकता है। साहित्य में जिस तरह से समाज की सूक्ष्म विवेचना होती है, वैसी विवेचना समाजशास्त्रीय अध्ययनों में भी मिलना नामुमकिन है। कोई उपन्यास, कहानी या फिर आत्मकथ्य जिस सहजता और सरलता…

Continue

Added by anwar suhail on March 12, 2013 at 9:00pm — 1 Comment

ज़रूरी नहीं...

ज़रूरी नहीं

कि हम पीटें ढिंढोरा

कि हम अच्छे दोस्त हैं

कि हमें आपस में प्यार है

कि हम पडोसी भी हैं

कि हमारे साझा रस्मो-रिवाज़ हैं

कि हमारी मिली-जुली विरासतें हैं

कतई ज़रूरी नहीं है ये

कि हम दुनिया के सामने

अपने प्यार का इज़हार करें

क्योंकि जब दोस्ती टूटती है

जब प्यार नफरत में बदलता है

तब रिश्तों में खटास आती है

तब दिल टूट जाते हैं

तब अकबका जाते हैं वे लोग

जिनके दिल मोम हैं

जो…

Continue

Added by anwar suhail on March 10, 2013 at 7:24pm — 8 Comments

आतंकवादी

जाने क्यों आजकल

जब भी

देखता / सुनता हूँ ख़बरें

तो धड़कते दिल से

यही सुनना चाहता हूँ

न हो किसी आतंकी घटना में

किसी मुसलमान का हाथ...

 

अभी जांच कार्यवाही हो रही होती है

कि आनन्-फानन

टी वी करने लगता घोषणाएं

कि फलां ब्लास्ट के पीछे है

मुस्लिम आतंकवादी संगठन...

 

बड़ी शर्मिंदगी होती है

बड़ी तकलीफ होती है

कि मैं भी तो एक मुसलमान हूँ

कि मेरे जैसे

अमन-पसंद मुसलमानों के बारे…

Continue

Added by anwar suhail on March 8, 2013 at 9:11pm — 11 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
1 minute ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
3 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
13 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Prem Chand Gupta जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। कृपया नुक़्तों का विशेष ध्यान रखें…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"कू-ब-कू है ख़बर, हुआ क्या हैपर ये अख़बार ने लिखा क्या है । 1 जो परिंदे क़फ़स में जीते हैंउनको मालूम है…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी आदाब, "मौन है बीच में हम दोनों के"... मिसरा बह्र में नहीं…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। बेवफ़ाई ये मसअला…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service