For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

टुकड़खोर सेवादार

अइसई नहीं मिलता 
सेवादारी का ओहदा 
बड़ी कठिन परीक्षा है 
निभा ले जाना ड्यूटी सेवादारी की

हाकिम-हुक्काम तो 
कोई भी बन सकता है 
सेवादार बनना बहुत कठिन है 
सेवादार को होना चाहिए 
भाव-निरपेक्ष...संवेदनहीन 
अपने ड्यूटी-काल में 
और उसके अलावा भी 
जाने कौन सा राज़ 
कब किस हालत में फूट जाए 
और लेने के देने पड़ जाएँ 
हाकिम बना रहे 
हाकिम बचा रहे 
हुकुम सलामत रहे 
तो रोज़ी-रोटी की है गारंटी 
इतनी गारंटी आजकल 
सरकार भी कहाँ लेती है

अगर कोई सेवादार 
हाकिम बनने का देखे स्वप्न 
तो फोड़ी जा सकती हैं आँखें उसकी 
अगर कोई सेवादार 
हाकिम की काली करतूत
उजागर करने के लिए 
छोड़ सकता हो गारंटी-शुदा नौकरी का मोह 
तो फिर देखो कैसे 
किसी ताश के पत्ते सा 
धराशाई होता है निजाम हाकिम का 
गोली-बंदूक, कोड़े, चाबुक, व्यवस्था की पकड़ 
रौब-दाब, सब-कुछ 
तभी तक है 
जब तक सेवादार खामोश हैं 
जब तक सेवादार टुकड़खोर हैं....

(अप्रकाशित)

Views: 382

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 17, 2015 at 7:38pm

मित्र बहुत बढ़िया चित्रण . बधाई

Comment by Samar kabeer on December 16, 2015 at 10:45pm
जनाब अनवर सुहैल जी,आदाब,बहुत ही बढ़िया कविता लिखी है आपने,भाव भी बहुत ख़ूब हैं ,पसंद आई ,दाद के साथ बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"अपनी ही रौशनी में वो नहला गई मुझे  इक चाँदनी थी चाँद-सा चमका गई मुझे  काँधे पे मेरे…"
25 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।  इतनी सी बात थी कि…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"उस्ताद-ए-मुहतरम आदरणीय समर कबीर साहिब को मेरा सादर चरणस्पर्श "
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"221 2121 1221 212 फिर से गुनाहगार वो ठहरा गई मुझे क्या जाने किस की आह थी जो खा गई मुझे /1 इतनी सी…"
8 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"स्वागत है"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"स्वागतम"
8 hours ago
Euphonic Amit commented on Balram Dhakar's blog post ग़ज़ल: अगर कोशिश करेंगे आबोदाना मिल ही जाएगा।
"आदरणीय बलराम धाकड़ जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है।  कुछ बिंदुओं से अवगत करवाना…"
8 hours ago
Dr. Vijai Shanker commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"धरती अरु आकाश पर , लिख दी अपनी जीत,बेटी ने अब छू लिया , धरा से आसमान ।। आदरणीय सुशील सरना जी,…"
11 hours ago
Dr. Vijai Shanker commented on Dr. Vijai Shanker's blog post क्षणिकायें 01/23 - डॉ० विजय शंकर
"आदरणीय कल्पना भट्ट जी, क्षणिकाओं को स्वीकृति प्रदान करने के लिए आभार , बधाई के लिए धन्यवाद , सादर ."
12 hours ago
Dr. Vijai Shanker commented on Dr. Vijai Shanker's blog post क्षणिकायें 01/23 - डॉ० विजय शंकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी , रचना को पसंद करने के लिए आभार एवं आपको शुभकामनाएँ,सादर."
12 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') commented on Dr. Vijai Shanker's blog post क्षणिकायें 01/23 - डॉ० विजय शंकर
"सुंदर अभिव्यक्ति हुई है डॉ विजय शंकर जी। बधाई स्वीकारें"
15 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"सुंदर दोहे हुए है आदरणीय सुशील सरना जी । बधाई स्वीकारें।"
15 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service