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Ram shiromani pathak's Blog – December 2013 Archive (3)

दोहे -12 (पापा कहते थे)

धैर्य रखो मत हो विकल,सुन लो मेरी बात!

अल्प दिवस हैं कष्ट के ,होगी स्वर्ण प्रभात!!

लोभ कपट को त्यागकर,मीठी वाणी बोल!!

यह जीवन का सार है,सहज वृत्ति अनमोल!!

अपनापन गोठिल जहाँ,वहाँ परस्पर द्वंद !

पापा कहते थे वहाँ ,बढ़ते दुःख के फंद!!

भ्रष्ट आचरण त्यागकर,करना मधुरिम बात !

होगी वर्षा नेह की,प्यार भरी सौगात !!

पापा कहते थे सदा,सुन लो मेरे लाल!

जीवन में होना सफल ,बहके कदम सँभाल!!

सत्कर्मों से ही…

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Added by ram shiromani pathak on December 15, 2013 at 11:00pm — 15 Comments

क्षणिकाएं

1-मरणोपरांत

भूख से मरा था

शायद! इसीलिए

मरणोपरांत अखबार में

फ़ोटो छपी है

२-लाभ

आपके हीरे कि अँगूठी से अच्छा तो मेरा

मिट्टी का दीपक है

कम से कम

रात में प्रकाश तो फैलाता है

३-सौदा

आज उसके बच्चे भूखे नहीं सोये

वो कह रहा था

कुछ फर्क नहीं पड़ता

थोड़ा रक्त बेचने पर

४-तृप्ति

भूख शांत हो गयी

जली रोटी थी तो क्या? हुआ…

Continue

Added by ram shiromani pathak on December 12, 2013 at 12:21am — 27 Comments

दोहे -११(खिचड़ी)

दो पल की है ज़िन्दगी,हँस के जी लो यार !

कटुता को अब भूलकर ,बाटो थोड़ा प्यार!!

देने से मिलता सदा,खुद को भी सम्मान !

इस निवेश की गूढ़गति ,ध्यान रखें श्रीमान !!

रोम रोम पुलकित हुआ ,कितना कोमल वार !

अधरों पर मुसकान है ,तिरछे नैन कटार!!

मधुर कंठ की स्वामिनी,कोमल मृदु बर्ताव !

कष्टों पर औषधि सदृश ,भर जाती है घाव !!

घर घर में दिखते मुझे,दुस्शासन लंकेश !

फिर कैसे बँधते भला,द्रुपद सुता के केश!!

गिरते पत्ते…

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Added by ram shiromani pathak on December 11, 2013 at 12:08am — 24 Comments

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