For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – February 2018 Archive (4)

इक दिन की बात हो तो इसे भूल जाएँ हम - तरही गजल- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"



221   2121     1221      212



सुनता खुदा  न यार  सदाएँ  तो क्या करें

करती असर न आज दुआएँ तो क्या करें ।१।



इक दिन की बात हो तो इसे भूल जाएँ हम 

हरदिन का खौफ अब न बताएँ तो क्या करें।२।



इक वक्त था कि लोग बुलाते थे शान  से

देता न  कोई  आज  सदाएँ  तो क्या करें।३।



शाखों लचकना सीख लो पूछे बगैर तुम 

तूफान बन  के  टूटें  हवाएँ तो  क्या करें।४।…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 26, 2018 at 6:30pm — 6 Comments

दबे  पाप  ऊपर  जो  आने  लगे  हैं- गजल



१२२ १२२ १२२ १२२

दबे  पाप  ऊपर  जो  आने  लगे  हैं

सियासत में सब तिलमिलाने लगे हैं।१।



घोटाले वो सबके गिनाने लगे हैं

मगर दोष अपना छिपाने लगे हैं।२।



वतन डूबता है तो अब डूब जाये

सभी खाल अपनी बचाने लगे हैं।३।



रहे कोयले की दलाली में खुद जो

गजब  वो भी उँगलीउठाने लगे हैं।४।



दिया था भरोसा कि लुटने न देंगे

वही बेबसी  अब …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2018 at 4:00pm — 20 Comments

दाग कितने नित लगाओगे वतन के भाल पर -- (गजल)-- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२ २१२२ २१२२ २१२



खूब नजरें  जो  गढ़ाये  हैं  पराये  माल पर

है भरोसा खूब उनको दोस्तो घड़ियाल पर।१।



भूख बेगारी औ'  नफरत है पसारे पाँव बस

अब भगत आजाद रोते हैं वतन के हाल पर ।२।



आज सम्मोहन  कला  हर नेता को आने लगी

है फिदा जनता यहाँ की हर सियासी चाल पर।३।



खुद  पहन  खादी  चमकते पूछता हूँ आप से

दाग कितने नित लगाओगे वतन के भाल पर।४।



ऐसा होता तो सुधर  जाते  सभी हाकिम यहाँ

वक्त जड़ता पर कहाँ है अब तमाचा गाल…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 11, 2018 at 10:25pm — 8 Comments

फितरत नहीं छिपती है - (गजल)- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१ १२२२ २२१ १२२२



नफरत के बबूलों को आँगन में उगाओ मत

पाँवों में स्वयं के अब यूँ शूल चुभाओ मत।१।



ऐसा न हो यारों फिर बन जायें विभीषण वो

यूँ दम्भ में इतना भी अपनों काे सताओ मत।२।



फितरत नहीं छिपती है कैसे भी मुखौटे हों

समझो तो मुखौटे अब चेहरों पे लगाओ मत।३।



माना कि तमस देता तकलीफ बहुत लेकिन

घर को ही जला डाले वो दीप जलाओ मत।४।



ढकने को कमी अपनी आजाद बयानों पर

फतवों के मेरे  हाकिम  पैबंद  लगाओ…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 1, 2018 at 6:00am — 15 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service