For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल से हम असआर पकाया करते हैं - लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

2222    2112   2222
***************************
पत्थर  पर  भी  प्यार  जताया करते हैं
इक  नूतन  संसार   बसाया   करते  हैं
****
लज्जत  तुमको  यार तनिक तो देंगे ही
दिल  से  हम असआर पकाया करते हैं
****
तनहा  हमको आप  समझना लोगो मत
हम  गम  का  दरवार  लगाया  करते  हैं
****
कुबड़ी  अपनी पीठ हुई  मत पूछो क्यों
यादों  का   हम  भार   उठाया  करते हैं
****
अश्कों से मत पूछ जिगर तक आजा तू
आँसू   केवल   सार   बताया   करते  हैं
****
जीवन बीता  किंतु न  समझे यारो हम
कैसे  दिल  के  तार   बजाया  करते  हैं
****
मौलिक और अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 11, 2015 at 10:51am

आ० भाई भाई श्याम जी ग़ज़ल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 11, 2015 at 10:50am

आ० भाई महर्षि जी हार्दिक आभार l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 11, 2015 at 10:49am

आ० भाई कृष्णा  जी , उत्साहवर्धन के लिए आभार l

Comment by Shyam Mathpal on March 10, 2015 at 10:19am

Aadarniya Dhami Ji,

Anand Aa gaya. Dil ko choo gaee.

कुबड़ी  अपनी पीठ हुई  मत पूछो क्यों
यादों  का   हम  भार   उठाया  करते हैं

Comment by maharshi tripathi on March 9, 2015 at 6:22pm

इस खूबसूरत गजल पर आपको हार्दिक बधाई आ.धामी जी |

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 8, 2015 at 9:56pm

सुन्दर गजल हुयी है बहुत बहुत बधाई!!सादर!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 8, 2015 at 12:39pm

आ0 भाई हरिप्रकाश जी उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 8, 2015 at 12:38pm

आ0 भाई गोपाल नारायण जी , उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 8, 2015 at 12:37pm

आ0 भाई भुवन जी , आपको ग़ज़ल अच्छी लगी लेखन सार्थक हुआ . अनुमोदन के लिए हार्दिक धन्यवाद .
आ0 भाई

Comment by Hari Prakash Dubey on March 8, 2015 at 11:59am

अश्कों से मत पूछ जिगर तक आजा तू
आँसू   केवल   सार   बताया   करते  हैं...बहुत सुन्दर आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , बधाई आपको ! सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
11 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
16 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
18 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
20 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी आदरणीय यही कि जिस मुक़द्दमे का इतना चर्चा था उसमें हारने वाले को सज़ा क्या हुई उसका भी चर्चा…"
21 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई…"
46 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service