For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – February 2015 Archive (7)

धुंध का परदा हटाओ - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

2122    2122    2122    212

*******************************

झील के पानी  को  फिर से बादलों ताजा करो

नीर हो  झरते  रहो तुम मत कभी ठहरा करो

***

सिर्फ गर्जन  के लिए  कब  धूप जनती है तुम्हें

प्यास  खेतों  की  बुझाओ  खेल  से  तौबा करो

***

जान का भय  किसलिए है परहितों की बात जब

धुंध  का  परदा   हटाओ   दूर   तक   देखा   करो

***

सूर्य  के  तुम  वंशजों  में  छोड़   दो  मायूसियाँ

त्याग दो  जीवन भले ही तम को मत पूजा करो

***

यूँ अँधेरों की  तिजारत …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 25, 2015 at 6:00am — 14 Comments

सत्य की लम्बी उमर हो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

2122     2122

***************

पाप   का  अवसान  मागूँ

पुण्य  का  उत्थान   मागूँ

**

सत्य  की  लम्बी उमर हो

झूठ  को  विषपान   मागूँ

**

व्यर्थ   है  आकाश  होना

सिर्फ  लधु  पहचान  मागूँ

**

राजपथ  की   राह   नीरस

पथ  सदा  अनजान  मागूँ

**

स्वर्ण   देने   की  न  सोचो

मैं तो  बस  खलिहान मागूँ

**

कोयलों   का   वंश   फूले

आज  यह  वरदान   मागूँ

**

साथ ही पर  काक के हित

इक  मधुर  सा गान मागूँ

**

मिल गए  नवरात …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 23, 2015 at 11:31am — 26 Comments

आचरण से ध्यान जादा डील में - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

2122   2122      212

****************************

दोष  ऐसा  आ  गया  अब  शील में

फासले  कदमों  के  बदले  मील में

***

भर लिया तम से मनों को इस कदर

रोशनी   भी   कम   लगे  कंदील  में

****

देह  होकर   देह   सा   रहते  नहीं

टाँगते  खुद  को वसन से कील में

****

युग  नया  है  रीत भी  इसकी नई

आचरण  से  ध्यान  जादा डील में  /       डील-दैहिक विस्तार

****

अब  बचे  पावन  न  रिश्ते दोस्तो

तत तक बदले है खुद को चील में

***

भय सताता क्या …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2015 at 7:00am — 25 Comments

मुखौटे ओढ़कर अब तो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

1222     1222  1222 1222

*****************************

बुरे  की  कर  बुराई  अब (बुरे को अब बुरा कह कर)  बुराई  कौन  लेता  है

यहाँ  रूतबे  के  लोगों  से  सफाई कौन लेता है

 ***

हँसी अती है लोगों को किसी की आँख नम हो तो

किसी  की  पीर  हरने  को  बिवाई  कौन  लेता है

 ***

सभी  हम्माम  में नंगे किसे क्या  फर्क पड़ता अब

जमाना  भी  न   देखे   जगहॅसाई   कौन   लेता है

 ***

मुखौटे ओढ़कर अब तो दिलो का राज रखते सब

सच्चाई …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2015 at 11:00am — 18 Comments

धारावाहिक गजल भाग -1 ( लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' )

2122    2122    2122

***********************

डूबता  हो  सूर्य तो अब डूब जाए

मत कहो तुम रोशनी से पास आए /1

******

एक अल्हड़ गोद में शरमा रही जब

चाँद से  कह दो नहीं वह मुस्कुराए /2

******

थी  कभी  मैंने लगायी बोलियाँ भी

मोलने पर तब न मुझको लोग आए /3

******

आज मैं अनमोल हूँ बेमोल बिक कर

व्यर्थ  अब  बाजार जो कीमत लगाए /4

******

कामना जब मुक्ति की थी खूब मुझको

बाँधने  सब  दौड़ कर नित पास आए /5



रास  आया  है मुझे  जब  आज…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 8, 2015 at 1:52pm — 7 Comments

बसर तो प्यार से करते - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

1212   1122  1212     22

***************************

किरन की साँझ पे यल्गारियाँ नहीं चलती

तमस  की  भोर पे हकदारियाँ नहीं चलती

**

बचाना  यार  चमन बारिशें भी गर हों तो

हवा की आग से कब यारियाँ नहीं चलती

**

बसर तो प्यार से करते वतन में हम  दोनों

धरम  के नाम की गर आरियाँ  नहीं चलती

**

चले वही जो करे जाँनिसार खुश हो के

वतन की राह में गद्दारियाँ नहीं चलती

**

बने हैं संत ये बदकार मिल रही इज्जत

कहूँ ये कैसे कि…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 7, 2015 at 4:04pm — 15 Comments

गाँव को तहजीब में यारो नगर मत कीजिए - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

2122    2122    2122    212

******************************

कोशिशें  पुरखों  की  यारों बेअसर मत कीजिए

नफरतों को फिर दिलों का यूँ सदर मत कीजिए

******

मिट गये  ये तो  नरक  सी जिंदगी हो जाएगी

प्यार  को  सौहार्द  को यूँ दरबदर मत कीजिए

******

कर रहे हो  कत्ल  काफिर बोलकर मासूम तक

नाम  लेकर  धर्म का  ऐसा कहर  मत कीजिए

******

वो  शहीदी  कैसे  जिनसे  है  फसादों   की  फसल

उनको ये इतिहास में लिख के अमर मत कीजिए

*******

दुश्मनी …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 5, 2015 at 12:34pm — 22 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service