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अरुण कुमार निगम
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अरुण कुमार निगम's Discussions

क्या यह मेरा भ्रम है ?
17 Replies

व्यक्तिगत जीवन की व्यस्तताओं व विवशताओं के कारण पूर्व की भाँति न तो लिख पा रहा हूँ और न ही प्रतिक्रिया ही प्रकट कर पा रहा हूँ किन्तु ओबीओ पर पोस्ट रचनायें प्रतिदिन नियमित तौर पर पढ़ रहा हूँ. हाँ !…Continue

Started this discussion. Last reply by Saurabh Pandey Jul 21, 2015.

विवाह की बत्तीसवीं वर्षगाँठ :
7 Replies

सपना-अरुण निगम (मदिरा सवैया)ब्याह  हुये  बत्तीस  सुहावन  साल भये नहिं भान हुआ  नित्य निरंतर जीवन में पल का पहिया गतिमान हुआ छाँव कभी  अरु धूप कभी  हर मौसम एक समान हुआ  शब्द सधे  सुर-ताल सजे  यह जीवन…Continue

Started this discussion. Last reply by Dr.Vijay Prakash Sharma Jun 11, 2014.

 

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"अलबेला खत्री जी, संजय मिश्रा हबीब जी, अरुण अनंत और अब महिमाश्री....अल्प समय में ही, अल्पायु में ही इनका जान हृदय को पीड़ा दे रहा है। "
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"आदरणीया कल्पना भट्ट जी की पोस्ट से ज्ञात हुआ कि ओपेनबुक्स ओ लाइन की एक समय की सक्रिय सदस्य युवा कवयित्री नहीं रहीं। अत्यंत ही दुःखद समाचार है। ओबीओ के बैनरतले प्राची सिंह जी के संयोजन में हल्द्वानी में आयोजित समारोह में महिमा जी से मुलाकात हुई थी।…"
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"कृपया छन्द के नाम और विधान का भी उल्लेख कीजिए।"
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अरुण कुमार निगम replied to Admin's discussion ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 100 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश की विभीषिका का सटीक चित्रण हुआ है।सवैया में इस तरह का चित्रण वास्तव में कठिन कार्य है किंतु आपने सहजता से लिख दिया है। बहुत देर से सुंदरी सवैया में ही प्रतिक्रिया देने का प्रयास कर रहा था कि तू सफल नहीं हो पाया। उत्कृष्ट सुंदरी सवैया, किन्तु…"
Aug 18, 2019

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अरुण कुमार निगम replied to Admin's discussion ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 100 in the group चित्र से काव्य तक
"प्रतिभा जी के दोहरे, प्रतिभा का परिणाम। देख आपकी लेखनी, करता अरुण प्रणाम।। गूढ़ भाव औ शब्द से, परिभाषित तस्वीर। सचमुच में ये दोहरे, हैं नाविक के तीर।। चौथा दोहा खास है, दर्शन का पर्याय। हर दोहे ने चित्र से, खूब किया है न्याय।। बधाइयाँ।"
Aug 18, 2019

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"सुन्दर रचना भ्राता राणा। परिभाषित है चित्र सुहाना।। एक बात पर समझ न आई। नहीं अन्यथा लेना भाई।। सोलह-सोलह पर तुक आए। तब चौपाई छन्द कहाए।। लेकिन गीत बना है प्यारा। शब्दों में है चित्र उतारा।।"
Aug 18, 2019

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"प्रत्युत्तर में राणा जी का, अद्भुत अनुपम आल्हा छन्द। सौवें आयोजन की गरिमा, ऐसे में देती आनन्द।। भाव-घटा उमड़े जब मन में, छन्द-नदी तब करे हिलोर। रस-वर्षा में भीगने वाला, हो जाता तब भाव विभोर।। आभार, आदरणीय सतविंद्र कुमार राणा जी...."
Aug 18, 2019

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"सत्यनरायण सिंह जी आकर, लुटा गए हैं अपना प्यार। हाथ जोड़ कर भ्राता श्री का, अरुण प्रकट करता आभार।।"
Aug 18, 2019

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"की अच्छी शुरुवात - बधाई। श्री अखिलेश कृष्ण जी भाई।। कहीं कहीं पर तुक खटका है। शायद थोड़ा मन भटका है।। सौवाँ आयोजन है सुंदर। चलो टीप से भरें समुंदर।। माना हुई समय की तंगी। फिर भी भरें रंग सतरंगी।। ओबीओ के मित्रों आओ। शब्द चित्र से मंच सजाओ।। ऐसे…"
Aug 17, 2019

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"आदरणीय सौरभ भाई जी, चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव के शतकीय अंक के लिए सहस्र शुभकामनाएँ......."
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नसीहत को गिनिए नहीं धमकियों में - अरुण कुमार निगम

एक ग़ज़ल.......


122 122 122 122


नजर है तो पढ़िए गजल झुर्रियों में
ये चेहरा कभी है रहा सुर्खियों में।


वतन को सजाने के वादे किए थे
सदा आप उलझे रहे कुर्सियों में।


मसीहा समझ के था अगुवा बनाया
मगर आप भी ढल गए मूर्तियों में।


चढ़ाया हमीं ने उतारेंगे हम ही
पलक के झपकते, यूँ ही चुटकियों में।


अरुण के इशारे समझ लें समय है
नसीहत को गिनिए नहीं धमकियों में।।

(मौलिक व अप्रकाशित)☺

Posted on August 4, 2018 at 8:00pm — 5 Comments

एक सामयिक ग़ज़ल - अरुण कुमार निगम

एक सामयिक ग़ज़ल.....

(१२२ १२२ १२२ १२)

समाचार आया नए नोट का

गिरा भाव अंजीर-अखरोट का |

 

दवा हो गई बंद जिस रात से

हुआ इल्म फौरन उन्हें चोट का |

 

मुखौटों में नीयत नहीं छुप सकी

सभी को पता चल गया खोट का |

 

जमानत के लाले उन्हें पड़ गए

भरोसा सदा था जिन्हें वोट का |

 

नवम्बर महीना बना जनवरी

उड़ा रंग नायाब-से कोट का |

 

मकां काँच के हो गए हैं अरुण

नहीं आसरा रह गया ओट का…

Continue

Posted on November 11, 2016 at 4:30pm — 4 Comments

आम गज़ल - अरुण निगम

आम  हूँ  बौरा रहा हूँ

पीर में  मुस्का रहा हूँ

मैं नहीं दिखता बजट में

हर  गज़ट पलटा रहा हूँ  

फल रसीले बाँट कर बस

चोट को सहला रहा हूँ

गुठलियाँ किसने गिनी हैं

रस मधुर बरसा रहा हूँ

होम में जल कर, सभी की

कामना पहुँचा रहा हूँ

द्वार पर तोरण बना मैं

घर में खुशियाँ ला रहा हूँ

कौन पानी सींचता…

Continue

Posted on March 1, 2015 at 2:00pm — 14 Comments

अच्छे दिन – अरुण कुमार निगम

पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं

क्या होते हैं चाँद सरीखे, या तारों जैसे होते हैं.

 

बेटा ! दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं

अच्छे बीतें तो सुखमय हैं, वरना ये दुर्दिन होते हैं.

 

पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं

क्या होते हैं दूध-मलाई , या माखन जैसे होते हैं.

 

बरसों से मैं सुनते आया, स्वप्न सजीले बुनते आया

लेकिन देखे नहीं आज तक, अच्छे दिन कैसे होते हैं

 

पापा पापा बतलाओ…

Continue

Posted on November 23, 2014 at 11:00pm — 10 Comments

Comment Wall (16 comments)

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At 6:37am on August 5, 2018, Kishorekant said…

आदरणीय अरूणकुमार निगमजी, हमने अपनी नजरोंसे आपकी क़लमकार कमाल देख लिया है ! बहुत ही प्रभावि रचना केलिये साधुवाद स्विकार करें ?

At 8:43pm on January 30, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
said…

आ० अरुण जी ,मित्रता निवेदन स्वीकार कीजिये मुझे मेसेज भेजने में सहूलियत होगी |

३ फरवरी तक माह की सर्वश्रेष्ठ रचना तथा सक्रिय सदस्य का नाम मुझे मेसेज करने की कृपा करें धन्यवाद .

At 1:07pm on July 4, 2014, बृजेश नीरज said…

मेरा मित्रता निवेदन स्वीकार करने के लिए आपका हार्दिक आभार!

At 9:02pm on June 15, 2014, mrs manjari pandey said…
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अरुण कुमार जी।
At 9:25pm on March 25, 2014, बृजेश नीरज said…

आदरणीय आपके पास मेरा मित्रता निवेदन बहुत लम्बे अरसे से लंबित है!

At 8:28am on October 2, 2013, vijay nikore said…

आदरणीय अरूण जी:

 

ओ बी ओ कार्यकारिणी टीम में शामिल होने के लिए आपको हार्दिक बधाई।

 

विजय निकोर

 

At 4:53pm on September 29, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

// चलो छत्तीसगढ़ से एक तारा और उभरा है

तुम्हारा नाम अब आये अरुण के नाम से पहले.//......

आदरणीय आपकी इस टिप्प्णी से अन्दाज़ा हुआ , आप भी छ्तीस गढ के हैं , बहुत खुशी हुई !! मै भी छतीस गढ से हूँ , भिलाई स्टील प्लांट मे हूँ !!  सादर !!

..

At 1:32pm on August 4, 2013, hemant sharma said…

बहुत बहुत धन्यवाद तथा  आपको जन्मदिन कि हार्दिक शुभकामनायें.........

 

At 1:18pm on August 4, 2013, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

भाई अरुण कुमार निगम जी, जन्म दिन की शुभ मंगल कामनाएं -

जन्म दिवस पर आपको, खुशियाँ मिले हजार

मन की बगिया भी रहे, जीवन भर गुलजार |

कृपा करे माँ शारदा, सदा  बहे  रसधार,

माँ से ही सबको मिले,सच्चा प्यार दुलार | 

 

At 7:39am on July 4, 2013, vandana said…

आपके द्वारा सरिता जी की पोस्ट पर दोहों सम्बन्धी टिप्पणी से मेरे भी कुछ सवाल हल हुए ....आभार 

 
 
 

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