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Usha Awasthi
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Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, हार्दिक धन्यवाद आपका।"
Feb 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Usha Awasthi's blog post मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?
"आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Feb 12
Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?
"आदरणीय समर कबीर साहेब , हार्दिक आभार आपका।"
Feb 9
Samar kabeer commented on Usha Awasthi's blog post मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?
"मुहतरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें I "
Feb 8
Usha Awasthi posted a blog post

मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?

उषा अवस्थीमन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?वे घर ,जो दिखते नहींमिलते हैं धूल में, टिकते नहींपर "मैं" कहाँ मानता है?विचारों के कुरुक्षेत्र में,खाक़ छानता हैएक के पश्चात दूसरा,तत्पश्चात तीसराख़्यालों का समुंदर लहराता हैअनवरत प्रवाह में डूबता, उतराता हैजीवन और मौत के बीचझूल - झूल जाता हैमन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?मौलिमन क एवं अप्रकाशितSee More
Feb 5
Usha Awasthi posted a blog post

सौन्दर्य का पर्याय

उषा अवस्थी"नग्नता" सौन्दर्य का पर्याय बनती जा रही हैफिल्म चलने का बड़ा आधारबनती जा रही है"तन मेरा मैंजो भी चाहे सो करूँ"की विषैली सोच का उन्माद गहती जा रही हैआधुनिकता शब्द कानव अर्थ गढ़संक्रमण का बीज धरती परसतत बिखरा रही हैमार्ग मध्यम छोड़कर है दिन-ब-दिनअमर्यादित आचरणविस्तार करती जा रही है"नग्नता" सौन्दर्र का पर्यायबनती जा रही हैमौलिक एवं अप्रकाशितSee More
Feb 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Usha Awasthi's blog post वसन्त
"आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Feb 2
Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post साक्षात्कार
"बृजेश कुमार बृज जी, रचना सारगर्भित लगी ,जानकर हर्ष हुआ। हार्दिक धन्यवाद, सादर।"
Jan 31
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Usha Awasthi's blog post साक्षात्कार
"सुन्दर सारगर्भित कविता के लिए बधाई आदरणीया..."
Jan 30
Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post साक्षात्कार
"आ0 समर कबीर जी, आदाब। हार्दिक धन्यवाद आपका।"
Jan 30
Samar kabeer commented on Usha Awasthi's blog post साक्षात्कार
"मुह्तारमा ऊषा अवस्थी जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें I "
Jan 29
Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post वसन्त
"हार्दिक धन्यवाद आपका, फूलसिंह जी, सादर।"
Jan 27
PHOOL SINGH commented on Usha Awasthi's blog post वसन्त
"महोदया बहुत ही अच्छी रचना साधुवाद "
Jan 27
Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post वसन्त
"हार्दिक आभार आपका मनोज अहसास जी, सादर"
Jan 27
मनोज अहसास commented on Usha Awasthi's blog post वसन्त
"बसंत पर आधारित बहुत सुंदर रचना हुई आदरणीय बहुत-बहुत बधाई"
Jan 26
Usha Awasthi posted a blog post

वसन्त

 वसन्तउषा अवस्थीपतझड़ हुआ विराग काखिले मिलन के फूल प्रेम, त्याग, आनन्द कीचली पवन अनुकूलचिन्ता, भय,और शोक का मिटा शीत अवसादशान्ति, धैर्य, सन्तोष संग प्रकटा प्रेम प्रसादसरस नेह सरसों खिली अन्तर भरे उमंगपीत वसन की ओढ़नी, थिर सब हुईं तरंगशिव शक्ती का यह मिलन,अद्भुत, अगम, अनन्तगति मति अविचल,अपरिमित, अव्याख्येय वसन्तमौलिक एवं अप्रकाशितSee More
Jan 25

Profile Information

Gender
Female
City State
Lucknow
Native Place
Uttar Pradesh
Profession
Author

ब्राहम्ण

उषा अवस्थी

मान दिया होता यदि तुमने
ब्राम्हण को , सुविचारों को
सदगुण की तलवार काटती
निर्लज्जी व्यभिचारों को

उसको काया मत समझो ,
ज्ञान विज्ञान समन्वय है
द्वैत भाव से मुक्त, जितेन्द्रिय
सत्यप्रतिज्ञ , समुच्चय है

कर्म , वचन , मन से पावन
वह ब्रम्हपथी , समदर्शी है
नहीं जन्म से , सतत कर्म से
तेजस्वी , ब्रम्हर्षि है

मौलिक एवं अप्रकाशित

Usha Awasthi's Blog

मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?

उषा अवस्थी

मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?

वे घर ,जो दिखते नहीं

मिलते हैं धूल में, टिकते नहीं

पर "मैं" कहाँ मानता है?

विचारों के कुरुक्षेत्र में,खाक़ छानता है

एक के पश्चात दूसरा,तत्पश्चात तीसरा

ख़्यालों का समुंदर लहराता है

अनवरत प्रवाह में 

डूबता, उतराता है

जीवन और मौत के बीच

झूल - झूल जाता है

मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?

मौलिमन क…

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Posted on February 4, 2023 at 7:14pm — 4 Comments

वसन्त

 वसन्त

उषा अवस्थी

पतझड़ हुआ विराग का

खिले मिलन के फूल

 

प्रेम, त्याग, आनन्द की

चली पवन अनुकूल

चिन्ता, भय,और शोक का 

मिटा शीत अवसाद

शान्ति, धैर्य, सन्तोष संग 

प्रकटा प्रेम प्रसाद

सरस नेह सरसों खिली 

अन्तर भरे उमंग

पीत वसन की ओढ़नी, 

थिर सब हुईं तरंग

शिव शक्ती का यह मिलन,

अद्भुत, अगम, अनन्त

गति मति…

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Posted on January 25, 2023 at 6:35pm — 5 Comments

साक्षात्कार

उषा अवस्थी

सबकी अलग देनदारियां हैं

जीवन-नदिया में,

कर्म-नौका पर सवार

सुख-दुख से उत्पन्न

अपरिहार्य लहरें

सहने की मजबूरियां हैं

जब तरंगे "सम" पर आती हैं

पहुँचाती हैं सहजता से

इच्छित गन्तव्य तक

समस्त उलझनों के पार

कराती हैं, स्वयं से स्वयं का 

"साक्षात्कार"

प्रकृति आईना दिखाने को सन्नद्ध है

नियमों से आबद्ध है

जो अपना धर्म 

सदैव निभाती है

"मैं"…

Continue

Posted on January 21, 2023 at 6:57pm — 6 Comments

सौन्दर्य का पर्याय

उषा अवस्थी

"नग्नता" सौन्दर्य का पर्याय 

बनती जा रही है

फिल्म चलने का बड़ा आधार

बनती जा रही है

"तन मेरा मैं

जो भी चाहे सो करूँ"

की विषैली सोच का उन्माद 

गहती जा रही है

आधुनिकता शब्द का

नव अर्थ गढ़

संक्रमण का बीज धरती पर

सतत बिखरा रही है

मार्ग मध्यम छोड़कर 

है दिन-ब-दिन

अमर्यादित आचरण

विस्तार करती जा रही है

"नग्नता" सौन्दर्र का…

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Posted on January 7, 2023 at 11:30am — 4 Comments

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At 6:29am on August 5, 2018, Kishorekant said…

सुन्दर रचना केलिये हार्दिक अभिनंदन सुश्री उषा अवस्थिजी ।

At 9:01pm on September 9, 2017,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए....

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है.

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माना  नज़र  है  तेरी  ख़रीदार  की तरहलेकिन न लूट तू  मुझे  बाज़ार  की तरहरिश्ते  बिगड़ते  देर  तनिक भी…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति, स्नेह एवं मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए आभार। "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, क्या यह अब ठीक है ? जीवटता जो लिए कुटज सी, है वही समय से जीता ।हठी न जिसकी रही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, सादर आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय."
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर"
Sunday

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