For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Abid ali mansoori
  • Male
  • Bareilly
  • India
Share on Facebook MySpace

Abid ali mansoori's Friends

  • Rahila
  • Dr T R Sukul
  • RENU BHARTI
  • pratibha pande
  • Archana Tripathi
  • Dr. Vijai Shanker
  • Nilesh Shevgaonkar
  • गिरिराज भंडारी
  • Vasundhara pandey
  • vandana
  • Madan Mohan saxena
  • जितेन्द्र पस्टारिया
  • vijay nikore
  • नादिर ख़ान
  • अरुन 'अनन्त'
 

Abid ali mansoori's Page

Latest Activity

अरुन 'अनन्त' and Abid ali mansoori are now friends
Jul 13, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
Bareilly UP
Native Place
Bareilly
About me
Artist painter, president-Deshpremi radio listeners club,

बिन तेरे!

कितने तल्ख हैँ लम्हे

तेरे प्यार के वगैर
यह ग़म की आंधियां
यह तीरगी के साये
जैसे कोई ख़लिश
हो हवाओँ मेँ..
डसती हैँ मुझको पल-पल
पुरवाइयां
तेरी यादोँ की
बे रंग सी लगती है
ज़िंदगी अब तो
कुछ भी तो नहीँ जैसे
इन फिज़ाओँ मेँ...बिन तेरे!

(मौलिक व अप्रकाशित)

__आबिद अली मंसूरी

Abid ali mansoori's Photos

  • Add Photos
  • View All

Abid ali mansoori's Blog

अजनबी की तरह (नज़्म) // आबिद अली मंसूरी!

जब चले थे कभी 

हम 
अनजान राहों पर..
एक दूसरे के साथ
हमसफ़र बनकर,
कितनी कशिश थी
मुहब्बत की..
उस
पहली मुलाकात में,
चलो..! फिर चलें हम
आज
उसी मुकाम पर
जहां मिले थे कभी..
हम
अजनबी की तरह!
===========
(मौलिक व अप्रकाशित)
___ आबिद अली  मंसूरी!

Posted on November 9, 2016 at 10:25pm — 4 Comments

जैसी तुम हो मॉंं // आबिद अली मंसूरी!

तुमसे ही तो है

यह जीवन मेरा
तुम्हारी ही अमानत है
हर सांस मेरी
कर्ज़दार है
तुम्हारी ममता की
आत्मा हो तुम मेरी
तुमसे ही
संसार है मॉंं........
क्या लिखूं
मैं इससे आगे
असमर्थ हूं
एक मैं ही क्या
यह
सारा संसार भी
मॉं की ब्याख्या
नहीं कर सकता
क्योंकि मॉंं..
मॉंं होती है
जैसी, तुम हो…
Continue

Posted on November 5, 2015 at 9:00pm — 8 Comments

जीवन पथ पर..//गीत!

जीवन पथ पर चारो ओर फैला हुआ बस प्यार हो

आशाओँ का हमारी ऐसा एक संसार हो!

-

जाति-धर्म का न भेदभाव जहां हो

मानवता का बस बर्ताव वहां हो,

रहेँ हम सब मिलकर ऐसा एक घर-बार हो

...आशाओँ का हमारी ऐसा एक संसार हो!

-

स्वयं को समझेँगे जब एक समान

तभी बनेँगे हिन्दु,मुस्लिम,सिक्ख महान,

सब धर्मोँ की लागी एक कतार हो

...आशाओँ का हमारी ऐसा एक संसार हो!

-

जहां प्रेम हो पूजा, प्रेम जीवन हो

तन,मन,धन सब इसे अर्पण होँ,

सत्य,अहिँसा और प्रेम जीवन… Continue

Posted on November 5, 2015 at 1:23pm — 11 Comments

आलोचना के स्वर // आबिद अली मंसूरी!

कौन सुनता है

कौन सुनना चाहता है
किसे पसन्द है आलोचना अपनी
एक कड़वा सच
छिपा होता है
आलोचना के शब्दों में
जिसे
नहीं चहते हम
स्वीकार करना,
जानते हैं
अपने अन्दर फ़ैले
खरपतवारों को सभी
पर नहीं चाहते
उखाड़ना
उनकी जड़ों को,
कभी-कभी
अकारण ही
करना पड़ता है
सामना
आलोचनाओं के बबंडर…
Continue

Posted on November 3, 2015 at 8:30pm — 18 Comments

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:44am on November 4, 2015, Dr. Vijai Shanker said…
आपका स्वागत है आदरणीय आबिद जी , सादर।
At 9:10am on November 4, 2015, vijay nikore said…

आपसे मित्रता मेरे लिए हर्ष की बात है। हार्दिक धन्यवाद।

At 1:23pm on June 16, 2013, जितेन्द्र पस्टारिया said…
"तहे दिल से शुक्रिया...जनाब, आबिद अली साहब "
At 12:19am on June 9, 2013, Priyanka singh said…

thank u .....

At 12:28pm on June 8, 2013, D P Mathur said…

आदरणीय आबिद जी आपका हार्दिक आभार !

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
16 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service