For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार का विषय है 'आपदा', तो आइए इस विषय के किसी भी पहलू को कलमबंद करके एक प्रभावोत्पादक लघुकथा रचकर इस गोष्ठी को सफल बनाएँ।  
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94
"विषय: "आपदा''
अवधि : 30-01-2023 से 31-01-2023 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)

Views: 1932

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

सादर नमस्ते। प्रदत्त विषय को भिन्न कोण से रोचक रचना में लेते हुए ग्रामीण परिवार की चिरपरिचित समस्या/आफ़त/धर्म संकट को बढ़िया उभारा गया है। हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी। बताइएगा कि मैं सही तरह से समझ सका या नहीं। समापन और अधिक बेहतर व चिंतनपरक हो सकता था।

आपदा मे लिये कर्ज की मार से दबे व्यक्ति की बात करते करते अंत मे आपकी रचना थोड़ी गंभीर  मुद्दे से हट गई आदरणीय तेजवीर जी

कर्ज की आपदा एक गंभीर मुद्दा है। रचना आरंभ अच्छी हुई पर अंत कहीं कमजोर पड़ गया। एक तंज कहता संवाद जुड़ जाए तो रचना तिखी हो जाएगी। सादर

नहले पर दहला!आ.तेजवीर जी,चुटकुले में कथा हो गई।बधाई हो।

वनदेवी का श्राप

जंगल में सभी जानवरों की सभा चल रही थी। चिंतित और भयभीत से बैठे सब अपने ऊपर अचानक घिर आई एक आपदा के निवारण के उपायों पर विमर्श कर रहे थे। इस समय न किसी को किसी प्राणी का शिकार बनने का भय था, न किसी को शिकार करने का उत्साह। सब के दिमाग में केवल जंगल और अपने भविष्य की ही चिंता थी।
मगरमच्छ से सबसे पहले चुप्पी तोड़ी, "नदी का पानी अचानक से गंदला हो गया है। मिट्टी तो हर बार बरसात में बहकर आती ही है, पर ये मिट्टी नहीं है और न अब बरसात हो रही है। नदी में रहना दूभर हो रहा है। आँखें जलने लगती है, साँस घुटने लगती है, जाने क्या आफ़त है।"
हिरण ने बात आगे बढ़ाई, "सिर्फ़ पानी की बात नहीं है। इधर तो हर समय अजब-अजब घरघराहट की आवाज़ें आने लगी हैं। बच्चों ने डरकर खाना खाना भी छोड़ दिया है। रह रह कर धमाके भी सुनाई देते हैं। ज़रूर कोई दैवी विपदा आ रही है।"
बन्दर भी सबको बताने लगा, "वो घरघराहट तो एक पीले रंग के बड़े जंतु की है। बहुत शक्तिशाली है। बड़ा पंजा है उसका। घनघोर चिल्लाहट है उसकी। और एक वार से बड़े-बड़े पेड़ उखाड़ देता है। और ज़मीन को ऐसे खोद डालता है जैसे वो ठोस नहीं नरम कीचड़ हो। मुझे तो लगता है कि वो कुछ ही दिनों में हम सब को बेघर कर देगा।" कहते कहते रुआँसा हो गया वो।
सबकी अपनी-अपनी कहानी और अपना-अपना दुखड़ा। अपना अपना भय और अपना अपना किस्सा। किसी को न आपदा का प्रकार पता था न उसका उद्भव न निवारण।
तभी अचानक तेज़ रौशनी चमकी। सबने देखा कि वही पीला जंतु घर्र-घर्र करता उन्हीं की और बढ़ रहा था। पौं-पौं करके जैसे सबको चेतावनी देता। वहाँ पर अपनी बादशाहत का ऐलान करता।
डर के मारे सब जानवर वहाँ से भागने लगे। सब की ज़ुबान पर एक ही बात थी "वनदेवी का श्राप लगेगा तुम्हें, वनदेवी का श्राप"


#मौलिक एवं अप्रकाशित

सादर नमस्कार। स्वागत है विषयांतर्गत आपकी अनुपम मानवेतर बढ़िया रचना का। हार्दिक बधाई आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय' जी।  वास्तव में न केवल जंगल के जीवजंतु, बल्कि पेड़-पौधेऔर बूटियाँ भी इसी तरह संवाद करते ही होंगे। इन पात्रों के माध्यम से आपने न केवल उनकी पीड़ा व्यक्त की है, बल्कि पर्यावरण और जीव संरक्षण की चेतना भी जगाई है।  'पीला जंतु' - स्पष्ट संकेत कर रहा हैदुश्मन यंत्र का। शीर्षक और समापन पर पुनर्विचार किया जा सकता है। रचना बढ़िया प्रवाह में अंत.तक जा रही थी, लेकिन मेरी पाठकीय दृष्टि में ऐसा लगा कि समापन प्रभावशाली और बेहतरीन पंचपंक्ति संग न हो सका। किसी पात्र से ऐसा कुछ कहलवाना बेहतर रहेगा, जो पाठक को झकझोर दे और बेहतर चिंतन उत्प्रेरित हो सके। केवल मेरा एक सुझाव।

अपनी विस्तृत टिप्पणी और बहुमूल्य सुझाव से प्रोत्साहन देने के लिए हार्दिक आभार उस्मानी भाई जी। प्रयास रहेगा आपके सुझावों पर अधिकाधिक कार्य करके उन्हें सम्मिलित करने का.

शीर्षक और कथा के अंत के सम्बन्ध में अपनी ओर से यही कहना चाहता था कि हमारे कृत्य प्रकृति और उसके अवयवों के लिए एक आपदा की तरह ही हैं और वो हमें वनदेवी(प्रकृति) का श्राप भोगने की बद्दुआ ज़रूर देते होंगें।

प्रतिकों के माध्यम से अच्छी लघुकथा कमी अजय जी

बहुत आभार नयना जी 

प्राकृतिक आपदाओं को लेकर डर अंधविश्वास और कमज्ञान को केन्द्रित करते हुए प्रभावशाली लघुकथा लिखी है आपने। हार्दिक बधाई आदरणीय अजय गुप्ता जी।

बहुत शुक्रिया प्रतिभा जी 

विकास को विनाश की ओर बढ़ता देख सब डर गए......संदेशपरक लघुकथा हुई है।बधाई लीजिए। हां,भाषागत त्रुटियों,विराम चिन्हों के लोप का निवारण लाजिमी है।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
2 hours ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service