For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-66

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 66 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह उर्दू अदब के एक महत्वपूर्ण शायर जनाब राजेंद्र मनचंदा 'बानी' साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"तमाशा ख़त्म हुआ डूबने उभरने का "

1212 1122 1212 22*

मुफाइलुन  फइलातुन मुफाइलुन फेलुन

(बह्र: मुजतस मुसम्मन् मख्बून मक्सूर
रदीफ़ :- का 
काफिया :- अरने  ( उभरने, गुजरने, भरने, झरने आदि)

*अंतिम रुक्न फेलुन को फइलुन अर्थात २२ को ११२ भी किया जा सकता है | 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 25 दिसंबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 26 दिसंबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 25 दिसंबर दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13126

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

विरोध पाल लिया आपने जो झरने का

सलीका सीख लो पानी में अब उतरने का

 

अभी तो प्रात का स्वागत हो, फिर ठिठुर लेना

तनिक समय दो नई धूप को संवरने का

 

गृहस्थ मोह से उपराम हो गए लेकिन

निवृत्ति नाम है संसार से विचरने का

 

हरेक बात पे बस हाँ में हाँ नहीं कहते

समझ लो मित्र नया ढंग ये मुकरने का

 

कभी तो भर लो ये सौन्दर्य अपनी बाँहों में

मज़ा लो कांपते हाथों में भी सिहरने का

 

प्रत्येक दोष का बस दण्ड हल नहीं भाई

सभी को एक तो अवसर मिले सुधरने का

 

सभी का आसरा जो है, उसी तिरंगे से 

सलीका सीख लें परचम सभी लहरने का

 

विधान जब से उड़ानों के हक़ में पारित है

नियम भी साथ बना एक पर कुतरने का

 

पुकारता है गगन, चल जगत के सागर से

“तमाशा ख़त्म हुआ डूबने उभरने का”

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब, हमने बहुत कोशिश की मगर हमारी ग़ज़ल पहले नंबर की झलक दिखलाकर यथा स्थान पर आ गई,हमेशा की तरह मुशायरे का आग़ाज़ आपने ही किया,अपनी शानदार ग़ज़ल से किया,हिन्दी शब्दों के सटीक प्रयोग ने ग़ज़ल में चार चाँद लगा दिये हैं,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
आदरणीय कोशिश तो हमने भी की थी फीता काटने की मगर तकनीक का क्या करें , तीन बार(00.01,00.05और00.08) मुशायरे के पेज से मेन पेज पर आकर लौटे लेकिन 00.08 से पहले रिप्लाई बॉक्स ओपन ही नही हुआ जब 00.08 पर ओपन हुआ तो आप तीन शुअरा की ग़ज़लें मौजूद थी । खैर अब फीता काटने की इच्छा ही ख़त्म हो गई 12 बजे तक जगे तो नींद ही उचट गई अभी तक जाग रहे है । इसी बहाने आप सब की ग़ज़ले ही पढ़ रहे है ।

आदरणीय रवि जी,  फीता काटने की इच्छा ख़त्म मत कीजिये. अगली बार आपकी प्रतीक्षा होगी फीता काटने की. सादर 

मेरी नींद भी खुल गई तो पुनः आयोजन में आकर सभी गज़लें पढ़ ली है लेकिन विस्तृत टीप कल ही करूँगा, सादर  

आदरणीय समर कबीर जी, आज मुझे भी लगा था कि मैं अव्वल होने से चूक जाऊंगा क्योकिं कुछ 10 सेकण्ड के लिए पेज हैंग हो गया था लेकिन पोस्ट करने के बाद रिफ्रेश किया तो समझ आया सही समय पर पोस्ट हुई है ग़ज़ल. ये बाल सुलभ उत्साह ही इस आयोजन की जान है. आपको मेरी ग़ज़ल पसंद आई, मेरे लिए बड़ी बात है. ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.

समर भाई जी ये मिथिलेश भैया की अलर्ट नेस या विंडो दस का कमाल है शायद... हमने तो एक बार इनकी अनुपस्थिति का फायदा उठाकर फीता काटा था :-))))))

आदरणीय मिथिलेश भाई की अनुपस्थिति का लाभ ! 

बढ़िया आइडिया है ! ग़ज़ब खोपड़ी डॉन किहोटी ! 

हा हा हा .. 

आदरणीया राजेश कुमारी जी ने इशारा किया है क्या ? 

हा हा हा .. :-)))

 हा हा हा 

डॉन किहोटी को ज्यादा पढ़ने की लत थी इसलिए वो रात में बहुत पढ़ता था और सोता नहीं था. इस कारण उसका दिमाग खिसक गया था. यही हाल अपना है.... हा हा हा 

आदरणीय मिथिलेश भाई, मगर हमारा इंगित आपकी ओर नहीं था. अपन का इशारा आदरणीया राजेश कुमारी जी की तरफ़ था. उन्होंने डाइवर्ट कर दिया आपकी तरफ ! इसे कहते हैं ग़ज़ब खोपड़ी !! 

:-))))))

हा हा हा...........

हा हा हा

 ग़ज़ब खोपड़ी डॉन किहोटी  :-)))))) हाहाहा...

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है।  ग़ज़ल 2122 1212 22 .. इश्क क्या…"
24 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, सबसे पहले ग़ज़ल पोस्ट करने व सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल 2122 1212 22..इश्क क्या चीज है दुआ क्या हैंहम नहीं जानते अदा क्या है..पूछ मत हाल क्यों छिपाता…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए आभार।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service