For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-60 (विषय: धरोहर)

आदरणीय साथियो,
सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-60 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-60
विषय: धरोहर
अवधि : 30-03-2020 से 31-03-2020
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फ़ॉन्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है।
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाए रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाएँ इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद ग़ायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आसपास ही मँडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया क़तई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा ग़लत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिसपर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फ़ोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
.
.    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 7659

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई साहब सादर प्रणाम एवं समस्त गुरुजनों का हार्दिक आभार एवं शुक्रिया। यह ओपन बुक्स ऑनलाइन की मुख्य विशेषता है कि यहां पर हर रचना की समालोचना बहुत ही उम्दा और बेहतरीन तरीके से की जाती है । मेरी कमजोर रचना पर आपकी जो सारगर्भित टिप्पणी, सुझाव और अमूल्य मतांकन  प्राप्त हुआ, वह मेरे लिए किसी सीख और गुरुमंत्र से कम नहीं हैं ।

आप सभी ने दिल खोलकर मेरी रचना पर अपने विचार व्यक्त किए हैं । इस हेतु मैं आपका हृदय से आभारी हूं  इस से मुझे अपनी कमी का पता चला हैं । ताकि मैं अपनी रचना में बेहतरीन सुधार कर सकूं । क्योंकि यहां पर नेट की प्रॉब्लम होने से मैं इस बेहतरीन आयोजन की समस्त लघुकथाओं को पढ़ने में असमर्थ हूं।  इसका मुझे अफसोस रहेगा।

एक बार पुनः सभी का दिल खोलकर हार्दिक आभार।

हार्दिक बधाई आदरणीय ओम प्रकाश जी।बेहतरीन लघुकथा।

आदरणीय ओम प्रकाश क्षत्रिय जी, आपकी लघुकथा पर आदरणीय योगराज सर की टिप्पणी से मैं भी सहमत हूँ। आयोजन में सहभगिता हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

अमानत

जब देश का बँटवारा हुआ, गाँव की आबादी का बड़ा हिस्सा इस तरफ़ से उस तरफ़ चला गया। मगर उनका पूजा स्थल इधर ही रह गया, जैसे यहाँ आने वालों का उस तरफ़। गाँव की बड़ी मसीत उस दौर की याद दिलाती हुई गाँव के बीच खड़ी है, इसके आसपास ही जाने वालों की बड़ी आबादी रहती थी। बॉर्डर की दूसरी तरफ़ से आए कुछ लोगों ने इस गाँव में आने के बाद इस मसीत को गिराकर अपने विश्वास का धर्मस्थल बनाने की बात चलाई। उन्होंने इसके लिए पंचायत बुलाकर इस बारे साझा फ़ैसला करने पर भी ज़ोर दिया। उनका कहना था, “जब यहाँ पूजा करने वाले ही नहीं रहे, तो इस बिल्डिंग का अब क्या करना है?” 
कुछ तो कह रहे थे, बस गिरा देना चाहिए। 
पर गाँव के जो लोग बँटवारे से पहले यहाँ रह रहे थे, उनकी यादें, उन जाने वालों के साथ जुड़ी हुई थी, साथ मिलकर ही दोनों धर्मस्थलों का गाँव में निर्माण किया गया था।
“अगर वो हमारे पास नहीं रहे, तो फिर क्या हुआ?” इन लोगों ने कहा था। 
“ये मसीत तो अब इस धरती की है कल वो थे, आज हम हैं, और कल कोई और होगा ये हमारी धरती और हमारे पूर्वजों की अमानत है।” उन्होंने ने एक साथ कहा था। 
“हम इसे गिराने नहीं देंगे।”, उन्होंने ने इक बार फिर साथ मिलकर, दूसरे ग्रुप को इस बारे स्पष्ट कह दिया था। 
आज ये इस धरती और बुज़ुर्गों की अमानत वैसे ही आसमान की तरफ़ देख रही है। 
.
मौलिक व अप्रकाशित

बेगोआल साहब, सच कहूं तो यह तना बाना केवल धरोहर शब्द को लाने हेतु बना गया लगता है, इसलिए कथा भी कमजोर सी हो गयी, वैसे इस प्रयास हेतु बधाई तो बनता ही है, बधाई स्वीकार करें।

आदरणीय बागी जी, आप ठीक सोचते होंगे, मगर मेरे गाँव में अभी कुछ जगह जो बहुत अच्छे तरीके से मेरे गाँव के लोगों ने संभाली हुई हैं l 

मुझे यह लघुकथा बहुत अच्छी लगी डॉ० मोहन बेगोवाल जी. सम्प्रेष्ण थोड़ा गड़बड़ था तो मैंने टेक्स्ट सेट कर दिया और फिर लघुकथा ध्यान से पढ़ी. बँटवारे के समय की पृष्ठभूमि में लिखी यह लघुकथा प्रदत्त विषय से न्याय कर रही है. हालाँकि यह पंक्ति दुरुस्त करने वाली है,

//साथ मिलकर ही दोनों धर्मस्थलों का गाँव में निर्माण किया गया था।//

दोनों धर्मस्थलों से आपका क्या अभिप्राय है? और यहाँ तो ज़िक्र केवल एक ही धर्मस्थल यानि मसीत (मस्जिद) का हुआ है, ऐसी चूक भ्रम पैदा कर सकती है. बहरहाल, इस लघुकथा पर मेरी बधाई स्वीकार करें. 

आदरणीय सर जी,आप जी का बहुत धन्यवाद, सोचता इसको ऐसे कर सकते हैं l
||उस समय साथ मिलकर ही गाँव में इक दूसरे के धर्म स्थलों का निर्माण किया गया था l ||

आदरणीय मोहन बेगोवाल जी, सादर नमन! गंगा-जमुनी तहजीब से जुड़ी हर निशानी ऐतिहासिक, सामाजिक व सांस्कृतिक धरोहर है। हार्दक् बधाई

 आदरनीय सतविन्द्र जी, बहुत धन्यवाद 

शानदार कथानक का चुनाव किया है आपने बेगोवाल साहिब। लघुकथा का प्रस्‍तुतिकरण और बेहतर हो सकता था। शीर्षक चयन भी एकदम सटीक। पर प्रदत्‍त विषय से तारतम्‍य बन रहा है इसमें मुझे कुछ संशय है। सादर

आदरणीय मोहन जी,लघुकथा की बधाई। हां, विषय  सामान्य है;और भी रचनाएं इस विषय पर केन्द्रित मिल सकती हैं।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रभाजी हार्दिक धन्यवाद प्रशंसा के लिए | "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service