आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आपकी इस कहानी की सबसे अच्छी बात लगी कि किसी भी पात्र ने कोई लम्बे समझदारी / भाषण नुमा संवाद नहीं बोले | आपने एक परिस्थिति रख दी और विश्लेषण पाठकों पर छोड़ दिया अंत में लिखे हुए नारों ने भी सफल और अनुकूल प्रभाव उत्पन्न किया हार्दिक बधाई इस सफल लघुकथा पर आदरणीय उस्मानी जी
मेरी इस रचना पर समय देकर विस्तृत समीक्षात्मक टिप्पणी, मार्गदर्शन और हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय साहिबा
प्रदत्त विषय पर एक बढ़िया रचना प्रस्तुत किया है आपने, रचना पर मेरी व्यक्तिगत टिपण्णी कुछ यूँ है " आपने इस रचना में दो बिंदुओं को उठाया है, एक तो आजकल के हालात से घबराई हुई लड़कियां और दूसरी खुली बालों और स्कर्ट वाली लड़की. पहले बिंदु से मैं सहमत हूँ कि इस समय जो हालात हैं उसके हिसाब से न सिर्फ लड़की बल्कि उसके माँ बाप भी बुरी तरह सशंकित रहते हैं. लेकिन इसमें आपने उस खुले बाल और मिनी स्कर्ट वाली लड़की के मडजयम से क्या कहना चाहा है, वह मुझे स्पष्ट नहीं है. अगर आपका इशारा लड़कियों के ड्रेस और उनके साथ हो रहे दुर्व्यवहार से है तो मैं इससे पूरी तरह असहमत हूँ". उम्मीद है कि आप इस बिंदु पर प्रकाश डालेंगे, सादर
दरअसल लड़कियों या स्त्रियों का पहनावा कैसा हो, इसका निर्णय करने वाले दूसरे कैसे हो सकते हैं. और जहाँ तक भारतीय समाज की बात है, हर समाज में बदलाव आता है तो यहाँ क्यों नहीं. समाज हम सब से ही तो बनता है और जहाँ पुरुषों का ही वर्चस्व हो, वहां यह सब नियम ही बनेंगे. बहरहाल रचना के लिए बधाईयां आ शेख साहब
आदाब। कृपया पहले भौगोलिक हालात व लोकतंत्र के ज़मीनी हालात अनुसार केवल ऊपरी बदलाव के बजाय पहले मूलभूत आवश्यकता सौ फीसदी साक्षरता/सौ फ़ीसदी स्वास्थ्य व यौन-शिक्षा/सौ फ़ीसदी स्थायी रोज़गार/स्वरोज़गार/सौ फ़ीसदी समानता व समान न्याय संबंधित बदलाव सुनिश्चित करवाइयेगा। डिजीटलाईजेशन व स्वरुचि पोशाक और स्वतंत्रता स्वतः क़ायम हो जायेगी समाज व संस्कृति बिगाड़े बिना। अभी पश्चिमी फैशन केवल तबाही के कारक हैं।
बढ़िया लघुकथा ,बधाई आपको आदरणीय उस्मानी जी इस रचना के लिए ,सादर
रचना पटल पर समय देकर हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया बरखा शुक्ला जी।
विषय पर एक सटीक रचना आयोजन में रखने के लिए हार्दिक बधाई शेख शहजाद उस्म्मानी भाई....रचना का शीर्षक निर्णय-अनिर्णय सहज ही रचना को परिभाषित कर रहा है, हालांकि इसमें पहनावे से जुड़े कुछ शब्दों पर मेरी भी असहमति है, लेकिन क्यूंकि कथा के माध्यम से अलग-अलग विचारधारा को रखने का प्रयास किया गया है इसलिए यहाँ रचनाकार और पाठक के विचार स्वत: ही गौण हो जाते है... सादर.
विस्तृत समीक्षात्मक टिप्पणी के साथ मेरी इस रचना पटल पर समय देकर हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता साहिब।
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आपके द्वारा हौसला अफ़ज़ाई और संक्षिप्त समीक्षात्मक टिप्पणी से हम सभी को बेहतर लिखते रहने की ह़िम्मत व प्रेरणा हासिल होती है। तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |