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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 (विषय: ढहते क़िले का दर्द)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के 22 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत हैI प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22
विषय : "ढहते क़िले का दर्द"
अवधि : 30-01-2017 से 31-01-2017 
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बहुत से साथियों ने अनुरोध किया है कि जटिल प्रदत्त विषय के सम्बन्ध में यदि थोडा सा इशारा कर दिया जाए तो रचनाकारों को सही दिशा की ओर बढ़ने में सुविधा होगीI "क़िला" एक रूपक की तरह लिया गया हैI यह "क़िला" कोई व्यक्ति हो सकता है, कोई संस्थान हो सकता है, किसी का विश्वास या आत्मविश्वास हो सकता है, कोई विचार या विचारधारा हो सकती है, कोई मिथक हो सकता है, किसी का अधिकार या एकाधिकार हो सकता था, कोई राष्ट्र हो सकता है या फिर स्वयं कोई क़िला भी हो सकता हैI तो आइए साथियों, इस विषय को सार्थक करती लघुकथाएँ प्रस्तुत कर आयोजन की शोभा बढायेंI    
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2.  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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आपका कहा शिरोधार्य सर !
आभार आदरणीया
घर के बुज़ुर्ग बच्चों को अच्छी नसीहत देना चाहते है,जिससे वे अनचाही समस्याओं से महफूज बच्चे रह सके बढ़िया कथा है बधाई आपको आद सुधीर दिवेदी जी ।
आभार आद. नीता जी

दादूओं को समझौता करना ही  पड़ता है.. इस  ढहने की प्रक्रिया को  आज के दौर में सामंजस्य कहा  जाता है ..बहुत सुगढ़ लघुकथा ...हार्दिक बधाई प्रेषित है  आदरणीय  सुधीर जी 

हार्दिक   बधाई आदरणीय सुधीर जी।बेहतरीन प्रस्तुति।घर के बुजुर्ग के दर्द को परिभाषित करती सुन्दर लघुकथा।

घर के बुजुर्ग भी बाँध के समांन ही होते हैं शानदार प्रतीक के माध्यम से आपकी लघु कथा अपना मेसेज छोड़ने में कामयाब हुई एक सच्ची सूझ बूझ से एक बाँध ढहते ढहे बच गया प्रेरणास्पद लघु कथा बहुत खूब दिल से बधाई लीजिये आद० सुधीर द्विवेदी जी 

कथा बहुत बढ़िया हुई है आ सुधीर जी , थोड़ी असमंजस में हूँ कृपया अन्यथा न लीजियेगा दादू का पोती को रोकना तो समझ आ रहा है पर किन लोगों से ? यह भी सच है घर के बुज़ुर्ग चिंतित रहेते है और नयी पीढ़ी के साथ उनके विचार नहीं मिलते | विषय बहुत अच्छा लगा मुझे | हार्दिक बधाई आपको |

जनाब सुधीर जी आदाब,अच्छी लगी आपकी लघुकथा,बधाई स्वीकार करें ।

बहुत सटीक प्रतीकात्मक रचना प्रदत्त विषय पर, कभी कभी थोड़ी जगह देनी पड़ती है जिससे नए विचार आ सकें| बहुत बहुत बधाई आपको 

वाह वाह सुधीर जी , विस्मित कर दिया आपने । कथ्य को जिस प्रतीकात्मक ढंग से , संपूर्णता और कुशलता के साथ प्रस्तुत और परिभाषित किया है , प्रशंसा के लिए उचित शब्द ही नहीं मिल रहे । इस गहन प्रस्तुति के लिए हृदय से बधाई प्रेषित करती हूँ । सादर ।

आ० सुधीर  जी  बाँध का रूपक बहुत प्रभावशाली बन पड़ा है , बाकी बात अनुज योगराज जी ने कह दी हैं . सादर .

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